श्रीलंकाई राष्ट्रपति की प्रतिक्रिया: भारत और चीन के बीच सैंडविच नहीं बनना, दोनों से दोस्ती कायम
श्रीलंकाई राष्ट्रपति रनिल विक्रमसिंघे ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बयान दिया है जिसमें उन्होंने भारत और चीन के बीच श्रीलंका की स्थिति को स्पष्ट किया है। उन्होंने कहा कि श्रीलंका किसी भी स्थिति में भारत और चीन के बीच “सैंडविच” नहीं बनेगा और वह दोनों देशों के साथ समान दोस्ती बनाए रखेगा।
राष्ट्रपति का बयान
- भारत और चीन के साथ दोस्ती:
- राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने स्पष्ट किया कि श्रीलंका अपनी विदेश नीति में किसी भी एक देश के पक्ष में नहीं जाएगा। उनका कहना था कि श्रीलंका भारत और चीन दोनों के साथ दोस्ती बनाए रखेगा और किसी एक के पक्ष में जाने का कोई इरादा नहीं है।
- सहयोग और साझेदारी:
- राष्ट्रपति ने कहा कि श्रीलंका दोनों देशों के साथ सामरिक, आर्थिक और व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए काम करेगा। उनका मानना है कि यह संतुलित दृष्टिकोण देश के हित में होगा और इसके माध्यम से श्रीलंका अपनी स्वतंत्रता और संप्रभुता को बनाए रख सकेगा।
विदेश नीति पर प्रभाव
- शांति और संतुलन:
- राष्ट्रपति का बयान श्रीलंका की विदेश नीति में शांति और संतुलन को बनाए रखने के प्रयास को दर्शाता है। यह दर्शाता है कि श्रीलंका किसी भी वैश्विक शक्ति के बीच संघर्ष में उलझना नहीं चाहता और अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करना चाहता है।
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग:
- श्रीलंका का यह दृष्टिकोण देश की अंतरराष्ट्रीय सहयोग की नीति को भी स्पष्ट करता है। भारत और चीन दोनों से अच्छे रिश्ते बनाए रखने से श्रीलंका को आर्थिक और विकासात्मक लाभ प्राप्त हो सकते हैं।
राष्ट्रपति की यात्रा और बयान की पृष्ठभूमि
- पिछले अनुभव:
- श्रीलंका ने अतीत में भारत और चीन के बीच संबंधों में संतुलन बनाए रखने का प्रयास किया है। राष्ट्रपति विक्रमसिंघे का यह बयान इस नीति को और स्पष्ट करता है।
- भविष्य की योजनाएं:
- राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि श्रीलंका भविष्य में दोनों देशों के साथ मजबूत और व्यावहारिक साझेदारी कायम रखेगा, जिससे देश के विकास और स्थिरता को बढ़ावा मिलेगा।