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अंतरिक्ष में भारत की सफलता


भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र में हाल ही में कई महत्वपूर्ण सफलताएँ हासिल की हैं, जो देश की वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति को दर्शाती हैं।

चंद्रयान-3 मिशन की सफलता: 23 अगस्त 2023 को, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रयान-3 मिशन के तहत ‘विक्रम’ लैंडर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतारा। इस उपलब्धि के साथ, भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला पहला देश बन गया। इस ऐतिहासिक घटना के उपलक्ष्य में, 23 अगस्त को ‘राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की गई।

अंतरिक्ष स्टार्टअप्स में वृद्धि: पिछले दो वर्षों में, भारत में अंतरिक्ष से संबंधित स्टार्टअप्स की संख्या में 200 गुना वृद्धि हुई है। वर्ष 2022 में मात्र 1 स्टार्टअप था, जो 2024 में बढ़कर लगभग 200 हो गया। यह वृद्धि देश में अंतरिक्ष क्षेत्र में नवाचार और उद्यमिता के बढ़ते महत्व को दर्शाती है।

विदेशी उपग्रहों का प्रक्षेपण: ISRO ने अब तक 432 विदेशी उपग्रहों का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया है, जिसमें से 397 उपग्रह पिछले दस वर्षों में लॉन्च किए गए। इन प्रक्षेपणों से भारत को 440 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का राजस्व प्राप्त हुआ है, जो देश की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में विश्वसनीयता और क्षमता को दर्शाता है।

मंगलयान मिशन की सफलता: ISRO का मार्स ऑर्बिटर मिशन, जिसे ‘मंगलयान’ के नाम से जाना जाता है, भारत का पहला और सफल अंतरग्रहीय मिशन था। 24 सितंबर 2014 को, यह मिशन मात्र 450 करोड़ रुपये की लागत में सफलतापूर्वक मंगल की कक्षा में प्रवेश किया, जो अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की कुशलता और आर्थिक दक्षता को दर्शाता है।

इन उपलब्धियों के माध्यम से, भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र में अपनी मजबूत उपस्थिति स्थापित की है और वैश्विक स्तर पर अपनी वैज्ञानिक और तकनीकी क्षमता का प्रदर्शन किया है।