FeaturedNationalPolitics

हरियाणा की हार से बढ़ेगी ‘साइकिल’ और ‘पंजे’ के बीच दूरी? अखिलेश यादव ने दिए गठबंधन में दरार के संकेत


हरियाणा विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की करारी हार के बाद, विपक्षी गठबंधन (INDIA) के अंदर खटपट की खबरें जोर पकड़ने लगी हैं। समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने हालिया बयानों में अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस पर निशाना साधते हुए गठबंधन में दरार के संकेत दिए हैं। यह सवाल अब उठ रहा है कि क्या हरियाणा की हार ‘साइकिल’ (सपा का चुनाव चिह्न) और ‘पंजा’ (कांग्रेस का चुनाव चिह्न) के बीच बढ़ती दूरी की वजह बनेगी?

अखिलेश का बयान और गठबंधन में असहजता
हाल ही में एक साक्षात्कार के दौरान अखिलेश यादव ने कहा, “गठबंधन तभी मजबूत रहेगा जब सब पार्टियां समान रूप से एक-दूसरे का सम्मान करें और ज़मीनी हकीकत को समझें।” इस बयान को कांग्रेस की तरफ इशारा माना जा रहा है, खासतौर पर हरियाणा चुनाव में कांग्रेस के नेतृत्व पर सवाल उठाए जा रहे हैं। अखिलेश ने यह भी कहा कि सपा जैसी क्षेत्रीय पार्टियों को नजरअंदाज करना किसी भी गठबंधन के लिए सही रणनीति नहीं होगी।

हरियाणा में कांग्रेस की हार से उभरी नाराजगी
हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार से विपक्षी गठबंधन के अंदर असंतोष की लहर दौड़ गई है। कई क्षेत्रीय पार्टियां, जिनमें सपा भी शामिल है, कांग्रेस के नेतृत्व और रणनीति पर सवाल उठा रही हैं। सूत्रों के मुताबिक, सपा इस बात से नाखुश है कि कांग्रेस ने कई राज्यों में उसे गठबंधन में उतनी अहमियत नहीं दी जितनी अपेक्षित थी, खासकर हरियाणा जैसे महत्वपूर्ण राज्य में।

क्या टूट की तरफ बढ़ रहा है विपक्षी गठबंधन?
हरियाणा की हार और अखिलेश के बयान ने इस अटकल को हवा दी है कि सपा और कांग्रेस के बीच तनाव बढ़ रहा है। अखिलेश यादव पहले भी कई बार गठबंधन के भीतर बेहतर संवाद और तालमेल की कमी की ओर इशारा कर चुके हैं। अगर यह असहमति आगे बढ़ती है, तो विपक्षी गठबंधन (INDIA) को लोकसभा चुनाव 2024 से पहले एक बड़ा झटका लग सकता है।

कांग्रेस की प्रतिक्रिया और आगे की राह
कांग्रेस नेतृत्व फिलहाल इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है, लेकिन अंदरूनी हलकों में इसपर मंथन चल रहा है कि कैसे क्षेत्रीय पार्टियों के साथ तालमेल बेहतर किया जाए। लोकसभा चुनाव नजदीक हैं और अगर सपा जैसी महत्वपूर्ण पार्टियां गठबंधन से अलग होती हैं, तो यह विपक्ष के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।

आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि ‘साइकिल’ और ‘पंजे’ के बीच की यह दूरी क्या वाकई में टूट की ओर ले जाती है, या फिर दोनों पार्टियां एक बार फिर साथ आकर विपक्षी एकता को मजबूत करेंगी।