BJP के करीब आ रहे हैं या कुछ और है तैयारी? नीतीश-नायडू के मन में क्या चल रहा है?
भारतीय राजनीति के मौजूदा परिदृश्य में कई बड़े नेताओं के रुख में परिवर्तन देखने को मिल रहा है। खासकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू की हालिया गतिविधियों ने राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं को हवा दी है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या ये दोनों नेता बीजेपी के करीब आ रहे हैं या फिर कुछ और रणनीति तैयार कर रहे हैं?
नीतीश कुमार की राजनीति:
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बीजेपी के साथ रिश्ता हमेशा उतार-चढ़ाव भरा रहा है। हाल के दिनों में नीतीश कुमार ने विपक्षी एकता के मंचों पर सक्रिय भूमिका निभाई है और बीजेपी के खिलाफ सशक्त विपक्ष तैयार करने की कोशिश की है। लेकिन उनके हालिया बयानों और कुछ राजनीतिक कदमों ने अटकलों को जन्म दिया है कि क्या वे फिर से बीजेपी के करीब जा रहे हैं?
नीतीश ने 2013 में एनडीए से अलग होकर यूपीए में शामिल होने का निर्णय लिया था, लेकिन 2017 में फिर से एनडीए का हिस्सा बने। अब, जब विपक्षी दलों की एकजुटता का प्रयास चल रहा है, नीतीश के रुख में एक बार फिर अस्पष्टता देखी जा रही है। कई लोग मानते हैं कि नीतीश कुमार का राजनीतिक भविष्य उनके अगले कदम पर निर्भर करता है।
चंद्रबाबू नायडू का रुख:
आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है। टीडीपी प्रमुख नायडू ने 2018 में बीजेपी से नाता तोड़ते हुए विपक्षी खेमे का हिस्सा बनने का प्रयास किया था। लेकिन हाल के दिनों में उन्होंने बीजेपी नेतृत्व के खिलाफ कोई तीखा बयान नहीं दिया है, जिससे यह अटकलें बढ़ रही हैं कि क्या नायडू फिर से बीजेपी के साथ गठबंधन की संभावना तलाश रहे हैं?
नायडू की राजनीतिक मजबूरी भी इसे ध्यान में रखकर देखी जा रही है, क्योंकि आंध्र प्रदेश में उनकी पार्टी को वाईएसआर कांग्रेस से कड़ी चुनौती मिल रही है। ऐसे में बीजेपी के साथ गठजोड़ उन्हें मजबूत स्थिति में ला सकता है।
राजनीतिक संकेत और संभावनाएँ:
नीतीश और नायडू दोनों नेताओं की राजनीति प्रगमवादी रही है। दोनों ने समय-समय पर अपने हितों के अनुसार गठजोड़ बदले हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि दोनों नेता फिलहाल अपने-अपने राज्य में अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं और इसी के चलते वे अपनी रणनीति को पुनः विचार कर रहे हैं।
क्या है असली तैयारी?
नीतीश और नायडू की हालिया गतिविधियों से यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि वे सीधे तौर पर बीजेपी के करीब जा रहे हैं या अपनी राजनीतिक स्थिति मजबूत करने के लिए यह एक रणनीति का हिस्सा है। दोनों नेता फिलहाल अपने राज्यों में जनता और पार्टी के बीच समर्थन को बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में भविष्य में किसी भी राजनीतिक समीकरण के लिए दरवाजे खुले रखे जा रहे हैं।