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क्या सऊदी अरब बचाएगा ईरान को इजरायली कहर से? ईरानी मंत्री पहुंचे सऊदी अरब amidst भीषण हमले की आशंका


मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव और इजरायल द्वारा संभावित भीषण हमले की आशंका के बीच, ईरान के एक वरिष्ठ मंत्री का सऊदी अरब दौरा अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए चर्चा का विषय बन गया है। ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि ईरान, इजरायल के हमले से बचने के लिए सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मदद की गुहार लगा सकता है।

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, ईरान के इस मंत्री की सऊदी अरब यात्रा ऐसे समय पर हो रही है जब गाजा और अन्य फिलिस्तीनी क्षेत्रों में इजरायली हमलों में वृद्धि देखी जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि इजरायल और ईरान के बीच लंबे समय से चले आ रहे तनावों के मद्देनजर, इजरायल की ओर से किसी बड़े हमले की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

सऊदी अरब की भूमिका पर उठते सवाल
सऊदी अरब, जो पिछले कुछ सालों में क्षेत्रीय राजनीति में प्रमुख भूमिका निभा रहा है, इजरायल और ईरान के बीच संतुलन बनाए रखने की कोशिश कर रहा है। क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की हालिया नीतियों ने सऊदी अरब को मध्य पूर्व की कूटनीति का केंद्र बना दिया है। यह भी माना जा रहा है कि सऊदी अरब, इजरायल और अमेरिका के साथ बढ़ते संबंधों के बावजूद, ईरान के साथ अपनी खटास को कम करने के प्रयास में है।

विश्लेषकों का कहना है कि अगर सऊदी अरब ने ईरान को समर्थन दिया, तो यह क्षेत्रीय समीकरणों को पूरी तरह से बदल सकता है। वहीं, दूसरी ओर, अगर सऊदी अरब ने इजरायल के साथ अपने संबंधों को तरजीह दी, तो ईरान और इजरायल के बीच तनाव और बढ़ सकता है।

बड़े हमले की आशंका बढ़ी
ईरानी मंत्री की इस दौरे से यह संकेत मिलता है कि तेहरान किसी बड़े हमले से चिंतित है। इजरायल ने पहले ही चेतावनी दी है कि अगर ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम को नहीं रोका, तो इजरायल अपनी सैन्य कार्रवाई को और तेज कर सकता है। ऐसे में, सऊदी अरब द्वारा किसी भी तरह का समर्थन ईरान के लिए एक बड़ी सुरक्षा कवच साबित हो सकता है।

अब सवाल यह है कि क्या सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान इस जटिल स्थिति में मध्यस्थ की भूमिका निभाकर तनाव को कम करेंगे, या सऊदी अरब अपने खुद के रणनीतिक हितों को प्राथमिकता देगा?