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प्याज की कीमतों में वृद्धि


हाल के दिनों में भारत में प्याज की कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जिससे आम जनता को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। थोक बाजारों में प्याज की कीमतें 40-60 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर 70-80 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई हैं, जबकि कुछ क्षेत्रों में यह 80 रुपये प्रति किलोग्राम से भी अधिक हो गई है।

कीमतों में वृद्धि के प्रमुख कारण:

  1. नई फसल की देरी: सितंबर में हुई भारी बारिश के कारण खरीफ प्याज की फसल में देरी हुई है, जिससे बाजार में आपूर्ति कम हो गई है।
  2. निर्यात में वृद्धि: बांग्लादेश द्वारा प्याज पर आयात शुल्क हटाने से निर्यात में तेजी आई है, जिससे घरेलू बाजार में उपलब्धता प्रभावित हुई है।
  3. भंडारित प्याज की कमी: पिछली रबी फसल से संग्रहित प्याज का स्टॉक कम हो रहा है, जिससे आपूर्ति पर दबाव बढ़ा है।

सरकारी प्रयास:

कीमतों को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार ने ‘बफर स्टॉक’ से प्याज की बिक्री बढ़ाने का निर्णय लिया है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अनुसार, थोक और खुदरा बाजारों में 25 रुपये प्रति किलोग्राम की रियायती दर पर प्याज उपलब्ध कराया जा रहा है।

आगे की संभावनाएँ:

व्यापारियों का अनुमान है कि नवंबर के अंत तक नई फसल की आवक बढ़ने से कीमतों में कमी आ सकती है। हालांकि, तब तक उपभोक्ताओं को उच्च कीमतों का सामना करना पड़ सकता है।

निष्कर्ष:

प्याज की बढ़ती कीमतें आम जनता के लिए चिंता का विषय हैं। सरकार और संबंधित एजेंसियाँ स्थिति पर नजर रख रही हैं और आवश्यक कदम उठा रही हैं। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में आपूर्ति में सुधार से कीमतों में स्थिरता आएगी।