पंजाब में किसान आंदोलन
पंजाब में किसान आंदोलन की ताज़ा स्थिति पर नज़र डालते हुए, 27 नवंबर 2024 तक निम्नलिखित प्रमुख घटनाक्रम सामने आए हैं:
पराली जलाने और धान की खरीद पर विरोध: किसान मजदूर संघर्ष समिति के नेता सरवन सिंह पंढेर ने 26 अक्टूबर 2024 को पंजाब के माझा, मालवा और दोआबा क्षेत्रों में पराली जलाने पर लगाए गए प्रतिबंधों और धान की धीमी खरीद प्रक्रिया के विरोध में हाईवे जाम करने की घोषणा की थी। उन्होंने बटाला, फगवाड़ा, संगरूर और मोगा में हाईवे को पूरी तरह से बंद करने की बात कही थी।
किसान यूनियनों के विभाजन और विलय: पिछले 50 वर्षों में, पंजाब में किसान यूनियनों ने कई विभाजन और विलय देखे हैं, जो विचारधाराओं और नेतृत्व के टकराव के कारण हुए हैं। 1984 में पहला विभाजन हुआ था, और सबसे हालिया विभाजन 2021-2022 में देखा गया, जो 2020-2021 के दिल्ली सीमा पर हुए किसान आंदोलन के बाद हुआ था।
किसानों की मांगें: किसान यूनियनों की प्रमुख मांगों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी, पराली जलाने पर लगाए गए दंड का समाप्ति, और धान की खरीद प्रक्रिया में तेजी लाना शामिल है। इसके अतिरिक्त, वे कृषि कानूनों के पूर्ण निरसन की भी मांग कर रहे हैं।
सरकार की प्रतिक्रिया: पंजाब सरकार ने किसानों की मांगों पर विचार करने के लिए वार्ता की पेशकश की है। हालांकि, कई मुद्दों पर अभी तक सहमति नहीं बन पाई है, जिससे आंदोलन जारी है।
आंदोलन का प्रभाव: किसानों के विरोध प्रदर्शनों के कारण राज्य में यातायात बाधित हुआ है, जिससे आम जनता को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा, धान की खरीद में देरी से किसानों को आर्थिक नुकसान हो रहा है।
कुल मिलाकर, पंजाब में किसान आंदोलन वर्तमान में विभिन्न मुद्दों पर केंद्रित है, जिसमें पराली जलाने पर प्रतिबंध, धान की खरीद में देरी, और MSP की कानूनी गारंटी प्रमुख हैं। सरकार और किसान यूनियनों के बीच वार्ता जारी है, लेकिन अभी तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है।