महाराष्ट्र में होटल से नकदी बरामद
महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से पहले, राज्य में विभिन्न स्थानों पर बड़ी मात्रा में नकदी बरामद की गई है, जिससे चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठे हैं।
नासिक में नकदी बरामदगी:
19 नवंबर 2024 को, नासिक के एक होटल के कमरे से 1.98 करोड़ रुपये की नकदी जब्त की गई। यह कार्रवाई जिला कलेक्टर और रिटर्निंग ऑफिसर के मार्गदर्शन में की गई। सूचना के आधार पर, चुनाव आयोग ने आयकर विभाग को सूचित किया, और जब्त की गई राशि को सरकारी खजाने में जमा कर दिया गया। आयकर विभाग अब इस मामले की आगे की जांच कर रहा है।
नालासोपारा में नकदी वितरण का आरोप:
इसी दौरान, नालासोपारा विधानसभा क्षेत्र में विरार के एक होटल में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े पर मतदाताओं को नकदी बांटने का आरोप लगा। बहुजन विकास अघाड़ी (बीवीए) के कार्यकर्ताओं ने तावड़े पर 5 करोड़ रुपये नकद बांटने का आरोप लगाया। पुलिस ने होटल पर छापा मारा और कुछ नकदी और डायरियाँ बरामद कीं। इस मामले में तीन एफआईआर दर्ज की गई हैं, जिनमें से एक में विनोद तावड़े का नाम शामिल है। तावड़े ने इन आरोपों को निराधार बताया है।
नागपुर में नकदी बरामदगी:
13 नवंबर 2024 को, नागपुर में एक व्यक्ति को पैसों से भरे बैग के साथ पकड़ा गया। जांच के दौरान, पुलिस को स्कूटर की डिक्की में 1.35 करोड़ रुपये और मौजूदा बैग में 15 लाख रुपये मिले।
मुंबई में चांदी की जब्ती:
15 नवंबर 2024 को, मुंबई में एक टेंपो से 8,476 किलोग्राम चांदी जब्त की गई।
चुनाव आयोग की कार्रवाई:
चुनाव आयोग ने इन घटनाओं को गंभीरता से लिया है और संबंधित मामलों की जांच के लिए आयकर विभाग और अन्य एजेंसियों को निर्देशित किया है। आयोग ने स्पष्ट किया है कि चुनाव आचार संहिता के दौरान 50,000 रुपये से अधिक नकदी रखने पर वैध दस्तावेज होना अनिवार्य है, अन्यथा संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ:
इन घटनाओं के बाद, विपक्षी दलों ने भाजपा पर निशाना साधा है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसते हुए पूछा, “मोदी जी, ये 5 करोड़ किसके SAFE से निकला है?” वहीं, भाजपा ने इन आरोपों को निराधार बताते हुए कहा है कि विपक्ष अंतिम प्रयास के रूप में बेबुनियाद आरोप लगा रहा है।
निष्कर्ष:
महाराष्ट्र में चुनावों से पहले नकदी और चांदी की बरामदगी की ये घटनाएँ चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल खड़े करती हैं। चुनाव आयोग और संबंधित एजेंसियाँ इन मामलों की गहन जांच कर रही हैं ताकि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सके और चुनावी प्रक्रिया की शुचिता बनी रहे।