पराली जलाने पर NASA की रिपोर्ट: पंजाब में बढ़ता प्रदूषण का खतरा
पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं को लेकर NASA की सैटेलाइट रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। यह रिपोर्ट इस बात की पुष्टि करती है कि पराली जलाने की वजह से वायु प्रदूषण में भारी इजाफा हो रहा है, जिससे दिल्ली-एनसीआर समेत कई इलाकों की वायु गुणवत्ता गंभीर स्तर तक पहुंच गई है।
NASA की सैटेलाइट से खुलासा
NASA के सैटेलाइट डेटा के अनुसार, पंजाब और हरियाणा के कुछ इलाकों में पराली जलाने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। सैटेलाइट तस्वीरों में इन इलाकों से उठने वाले धुएं को साफ देखा जा सकता है, जो वायुमंडल में प्रदूषण का मुख्य कारण बन रहा है।
प्रदूषण पर प्रभाव
- वायु गुणवत्ता पर असर: पराली जलाने से निकलने वाला धुआं पीएम 2.5 और अन्य हानिकारक कणों को वायुमंडल में बढ़ा देता है, जिससे सांस लेने में दिक्कत और स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं।
- दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर: इस धुएं का सीधा असर दिल्ली-एनसीआर की हवा पर पड़ता है, जो पहले से ही खराब श्रेणी में है।
- जलवायु पर असर: पराली जलाने से न केवल स्थानीय स्तर पर प्रदूषण बढ़ता है, बल्कि यह ग्लोबल वॉर्मिंग और जलवायु परिवर्तन में भी योगदान देता है।
सरकार के प्रयास
- पराली प्रबंधन योजना: केंद्र और राज्य सरकारें पराली जलाने को रोकने के लिए किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन उपकरण प्रदान कर रही हैं।
- वित्तीय सहायता: किसानों को पराली प्रबंधन के लिए अनुदान और आर्थिक मदद दी जा रही है।
- जागरूकता अभियान: किसानों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न अभियान चलाए जा रहे हैं, ताकि वे पराली जलाने के बजाय वैकल्पिक तरीकों को अपनाएं।
किसान क्या कहते हैं?
कई किसान आर्थिक तंगी और उचित साधनों की कमी के कारण पराली जलाने को मजबूर हैं। उनका कहना है कि फसल अवशेष को हटाने के लिए आधुनिक उपकरण महंगे हैं और उन्हें उपयोग में लाना उनके लिए चुनौतीपूर्ण है।
समाधान की दिशा में कदम
- सस्ते और सुलभ उपकरण: किसानों को सस्ते और उपयोग में आसान पराली प्रबंधन उपकरण उपलब्ध कराए जाएं।
- वैकल्पिक उपायों को बढ़ावा: पराली का उपयोग जैविक खाद और ऊर्जा उत्पादन के लिए किया जा सकता है।
- सख्त कानूनों का पालन: पराली जलाने पर रोक के लिए सख्त कानून बनाए जाएं और उनका पालन सुनिश्चित किया जाए।
निष्कर्ष
पराली जलाने की समस्या को हल करना न केवल पंजाब और हरियाणा के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए जरूरी है। NASA की रिपोर्ट ने इस समस्या की गंभीरता को उजागर किया है, जिसे सरकार, किसान और नागरिकों को मिलकर हल करना होगा। जागरूकता और ठोस कदम ही प्रदूषण के इस खतरे को कम करने में मदद कर सकते हैं।