National

मंदिर-मस्जिद विवाद पर मोहन भागवत का बयान: ‘नए मुद्दे न उठाएं, सौहार्द बनाए रखें


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने मंदिर-मस्जिद विवादों पर संतुलित बयान देते हुए कहा कि अतीत के मुद्दों को नए विवाद में नहीं बदलना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि देश को विकास और सामाजिक सौहार्द की ओर आगे बढ़ना चाहिए, न कि पुराने विवादों को तूल देकर समाज में अस्थिरता पैदा की जाए।

क्या कहा मोहन भागवत ने?
भागवत ने हाल ही में जारी बयान में कहा, “राम मंदिर जैसे मुद्दों का समाधान न्यायिक प्रक्रिया के जरिए हुआ। इसे उदाहरण मानते हुए हमें और विवादों को तूल देने से बचना चाहिए।” उनका बयान जामा मस्जिद और अजमेर शरीफ जैसे धार्मिक स्थलों को लेकर हो रहे हालिया विवादों के संदर्भ में आया है।

सामाजिक सौहार्द की अपील:
मोहन भागवत ने जोर दिया कि “सभी समुदायों को आपसी सहमति और शांतिपूर्ण माहौल में संवाद करना चाहिए।” उन्होंने कहा कि किसी भी नए मुद्दे को उभारना न केवल देश के विकास को बाधित करता है, बल्कि इससे समाज में खाई बढ़ सकती है।

न्यायिक प्रक्रिया का समर्थन:
RSS प्रमुख ने यह भी कहा कि यदि किसी तरह की ऐतिहासिक या कानूनी समस्या है, तो उसका समाधान अदालतों के माध्यम से होना चाहिए। अयोध्या मामले का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि न्यायिक निर्णयों को सभी समुदायों ने सम्मानपूर्वक स्वीकार किया है।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ:
भागवत के बयान पर कई राजनीतिक दलों ने अपनी प्रतिक्रिया दी। कुछ ने इसे सौहार्दपूर्ण समाज के निर्माण की दिशा में सकारात्मक कदम बताया, जबकि कुछ ने इसे एक नई बहस की शुरुआत कहा।

देश को आगे बढ़ने की जरूरत:
भागवत ने देश के नागरिकों से अपील की कि वे मिल-जुलकर एकजुटता के साथ राष्ट्र निर्माण में योगदान दें। उनके अनुसार, पुराने विवादों में उलझने की बजाय शिक्षा, रोजगार और आर्थिक विकास जैसे मुद्दों पर ध्यान देने की जरूरत है।

निष्कर्ष:
मोहन भागवत का यह बयान एक महत्वपूर्ण समय पर आया है जब देश में धार्मिक स्थलों को लेकर कई विवाद सामने आ रहे हैं। उनका संदेश स्पष्ट है कि अतीत से सबक लेते हुए देश को आगे बढ़ाना और सौहार्द बनाए रखना सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए।