प्रधानमंत्री मोदी ने किया वीर बाल दिवस पर साहिबजादों को नमन
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के प्रतिष्ठित भारत मंडपम में आयोजित ‘वीर बाल दिवस’ कार्यक्रम में भाग लेकर साहिबजादों की शहादत को श्रद्धांजलि अर्पित की। यह कार्यक्रम ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व रखने वाले साहिबजादों के बलिदान को सम्मान देने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था।
साहिबजादों की शहादत का स्मरण
कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने गुरु गोबिंद सिंह जी के चार साहिबजादों के बलिदान को याद करते हुए कहा कि उनका त्याग और बलिदान पूरी मानवता के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने इस दिन को न केवल सिख समुदाय बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का दिन बताया। प्रधानमंत्री ने कहा, “साहिबजादों का बलिदान हमें अन्याय और अधर्म के खिलाफ खड़े होने की प्रेरणा देता है।”
कार्यक्रम की झलकियां
कार्यक्रम में सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और प्रदर्शनी के माध्यम से साहिबजादों के जीवन और बलिदान को दर्शाया गया। इसमें देशभर से आए बच्चों और युवाओं ने भाग लिया। प्रधानमंत्री ने बच्चों के साथ संवाद करते हुए उन्हें साहिबजादों के आदर्शों को अपने जीवन में अपनाने की प्रेरणा दी।
कार्यक्रम में एक विशेष प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया था, जिसमें साहिबजादों के इतिहास और उनके योगदान को दर्शाने वाली दुर्लभ तस्वीरें और दस्तावेज प्रदर्शित किए गए।
साहिबजादों का योगदान
गुरु गोबिंद सिंह जी के चार साहिबजादे – अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह और फतेह सिंह – ने धर्म और न्याय के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। उनके बलिदान की गाथा भारत के इतिहास का एक अद्वितीय अध्याय है। विशेष रूप से छोटे साहिबजादों, जोरावर सिंह और फतेह सिंह, ने 6 और 9 वर्ष की उम्र में अकल्पनीय साहस का प्रदर्शन किया और अपने धर्म की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया।
प्रधानमंत्री की अपील
प्रधानमंत्री मोदी ने देशवासियों से अपील की कि वे साहिबजादों के बलिदान से प्रेरणा लें और एकजुट होकर देश के विकास में योगदान करें। उन्होंने कहा कि वीर बाल दिवस का उद्देश्य युवाओं में न केवल साहस और बलिदान की भावना का विकास करना है, बल्कि उन्हें अपनी सांस्कृतिक विरासत से जोड़ना भी है।
राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता
वीर बाल दिवस को पिछले वर्ष औपचारिक रूप से राष्ट्रीय दिवस के रूप में मान्यता दी गई थी। यह दिन न केवल साहिबजादों की शहादत का स्मरण करता है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और इतिहास में उनके योगदान का उत्सव भी है।
प्रधानमंत्री का यह संबोधन देशवासियों को अपनी जड़ों से जुड़ने और साहिबजादों की त्याग भावना को आत्मसात करने के लिए प्रेरित करता है। वीर बाल दिवस भारतीय इतिहास के उन अनछुए पहलुओं को सामने लाने का अवसर है, जो आज भी प्रासंगिक और प्रेरणादायक हैं।