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मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड: ब्रजेश ठाकुर समेत तीन दोषियों को कोर्ट से रिहाई


बिहार के बहुचर्चित मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड में कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए इस मामले में दोषी करार दिए गए ब्रजेश ठाकुर समेत तीन लोगों को रिहा कर दिया है। यह फैसला स्वाधार गृह कांड से जुड़ा है, जिसमें तीनों पर गलत तरीके से संचालित बालिका गृह में लड़कियों के शोषण का आरोप था।

क्या है मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड?

यह मामला साल 2018 में सामने आया था, जब बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में टिस रिपोर्ट (TISS) की ऑडिट के बाद एक बालिका गृह में 34 लड़कियों के यौन शोषण का मामला उजागर हुआ। यह बालिका गृह ब्रजेश ठाकुर द्वारा संचालित किया जा रहा था। इस खुलासे के बाद पूरे देश में आक्रोश फैल गया था और मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी।

क्या था आरोप?

आरोप था कि बालिका गृह में रहने वाली लड़कियों को शारीरिक और मानसिक शोषण का शिकार बनाया जाता था। इन नाबालिग लड़कियों ने पूछताछ में कई चौंकाने वाले खुलासे किए थे। इसके बाद ब्रजेश ठाकुर और उनके सहयोगियों पर यौन शोषण, बाल तस्करी और आपराधिक साजिश जैसे गंभीर आरोप लगाए गए थे।

कोर्ट का फैसला क्यों बदला?

स्वाधार गृह कांड में सबूतों के अभाव के कारण पटना हाईकोर्ट ने ब्रजेश ठाकुर समेत तीन लोगों को बरी कर दिया। कोर्ट ने माना कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में विफल रहा कि इन तीनों का सीधे तौर पर कांड से जुड़ाव था।

कौन हैं ब्रजेश ठाकुर?

ब्रजेश ठाकुर मुजफ्फरपुर के एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं, जो प्रवासी समाचार नामक एक स्थानीय अखबार चलाते थे। उन्होंने कई वर्षों तक बिहार सरकार के विभिन्न विभागों के साथ अनुबंध के तहत कई बालिका गृह और स्वाधार गृह का संचालन किया।

हालांकि, जब कांड उजागर हुआ तो ब्रजेश ठाकुर का नाम प्रमुख आरोपी के रूप में सामने आया। उनके राजनीतिक और प्रशासनिक संपर्कों के कारण यह मामला और भी विवादों में घिर गया।

पीड़ितों का क्या कहना है?

पीड़ित लड़कियों और उनके परिवारों ने कोर्ट के फैसले पर निराशा जताई है। उनका कहना है कि दोषियों को सजा मिलनी चाहिए थी और उनकी रिहाई से पीड़ितों को न्याय नहीं मिला।

सरकार की प्रतिक्रिया

बिहार सरकार ने कहा है कि वह इस फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगी। सरकार ने भरोसा दिलाया कि पीड़ित लड़कियों को न्याय दिलाने के लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे।

जनता और सामाजिक संगठनों का आक्रोश

इस फैसले के बाद कई सामाजिक संगठनों ने नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि यह फैसला न्याय की हार है और इससे समाज में गलत संदेश जाएगा। कई संगठनों ने बिहार सरकार से मांग की है कि वह इस फैसले को चुनौती दे।

ब्रजेश ठाकुर पर अन्य मामले भी दर्ज

हालांकि स्वाधार गृह कांड में बरी होने के बावजूद, ब्रजेश ठाकुर पर अन्य मामले भी दर्ज हैं। उन पर यौन शोषण, मानव तस्करी और आपराधिक साजिश जैसे गंभीर आरोप हैं। इन मामलों में अभी सुनवाई चल रही है।

फैसले का असर

मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड को लेकर पूरे देश में गुस्सा था। ऐसे में दोषियों की रिहाई से जनता के बीच न्याय व्यवस्था को लेकर सवाल उठ रहे हैं। इस फैसले का असर आने वाले समय में अन्य मामलों पर भी पड़ सकता है।


निष्कर्ष
मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड में ब्रजेश ठाकुर की रिहाई ने एक बार फिर न्यायिक प्रक्रिया और सबूतों के अभाव के मुद्दे को सामने ला दिया है। हालांकि, पीड़ितों को अब भी न्याय की उम्मीद है, और सरकार ने भरोसा दिलाया है कि वह दोषियों को सजा दिलाने के लिए हर संभव कदम उठाएगी।