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बीपीएससी परीक्षा विवाद: कथित धांधली के आरोप में प्रशांत किशोर को भेजा गया न्यायिक हिरासत में


बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की परीक्षा में कथित धांधली के मामले में बड़े राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर को न्यायिक हिरासत में भेजे जाने की खबर सामने आई है। इस विवाद ने राज्य में शिक्षा व्यवस्था और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

क्या है पूरा मामला?

बीपीएससी की हाल ही में आयोजित हुई परीक्षा में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियों की खबरें सामने आई थीं। परीक्षा के दौरान कई स्थानों पर पेपर लीक, उत्तर पुस्तिकाओं में हेरफेर, और फर्जी अभ्यर्थियों की मौजूदगी की शिकायतें मिलीं। इस मामले में जांच के दौरान प्रशासन को यह जानकारी मिली कि इस गड़बड़ी में राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर का नाम भी सामने आ रहा है।

प्रशांत किशोर की भूमिका पर सवाल

जांच एजेंसियों के मुताबिक, प्रशांत किशोर पर आरोप है कि उन्होंने कुछ अभ्यर्थियों को परीक्षा में पास कराने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया। हालांकि, उनके वकीलों का कहना है कि उन्हें बिना किसी ठोस सबूत के फंसाया जा रहा है।

प्रशांत किशोर ने खुद पर लगे आरोपों को सिरे से खारिज किया है और कहा है कि यह एक राजनीतिक साजिश है। उन्होंने कहा कि उनका बीपीएससी से कोई संबंध नहीं है और वे न्यायालय में अपनी बेगुनाही साबित करेंगे।

सरकार और प्रशासन की प्रतिक्रिया

इस मामले पर बिहार सरकार और बीपीएससी प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी, चाहे वे कितने भी प्रभावशाली क्यों न हों। उन्होंने कहा कि सरकार परीक्षा प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

बीपीएससी के अध्यक्ष ने कहा कि परीक्षा में गड़बड़ी करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। आयोग ने सभी शिकायतों की जांच के लिए एक विशेष टीम का गठन किया है, जो इस मामले की गहराई से जांच करेगी।

विपक्ष का हमला

विपक्षी दलों ने इस मामले को लेकर सरकार पर जमकर निशाना साधा है। राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि यह मामला राज्य की शिक्षा व्यवस्था की खराब हालत को दर्शाता है। उन्होंने मांग की है कि सरकार इस मामले की निष्पक्ष जांच कराए और दोषियों को सख्त सजा दी जाए।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने भी इस घटना की कड़ी आलोचना की और कहा कि सरकार को इस मामले में पारदर्शिता सुनिश्चित करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों से राज्य की छवि धूमिल होती है और युवाओं का भरोसा टूटता है।

न्यायिक प्रक्रिया

प्रशांत किशोर को पटना की एक अदालत में पेश किया गया, जहाँ से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। उनके वकील ने अदालत में जमानत की अर्जी दी है, जिस पर अगली सुनवाई अगले हफ्ते होगी।

छात्रों और अभिभावकों में गुस्सा

इस घटना के बाद से बीपीएससी अभ्यर्थियों और उनके अभिभावकों में नाराजगी है। छात्रों का कहना है कि परीक्षा प्रक्रिया में गड़बड़ी से उनकी मेहनत पर पानी फिर गया है। वे मांग कर रहे हैं कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।

निष्कर्ष

बीपीएससी परीक्षा विवाद ने एक बार फिर से बिहार की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सरकार और प्रशासन को इस मामले में तेजी से कार्रवाई करनी होगी ताकि युवाओं का भरोसा कायम रहे। प्रशांत किशोर के मामले में क्या सच सामने आता है, यह आने वाले दिनों में साफ होगा। लेकिन यह घटना निश्चित रूप से प्रशासन और शिक्षा व्यवस्था में सुधार की जरूरत को उजागर करती है।