भारत से हर 5 मिनट पर लॉयल्टी टेस्ट नहीं मांग सकते… अमेरिका की पूर्व विदेश मंत्री कोंडोलीजा राइस ने क्यों कहा ऐसा?
अमेरिका की पूर्व विदेश मंत्री कोंडोलीजा राइज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस यात्रा को लेकर की जा रही चिंताओं को खारिज किया है। इंडस-एक्स शिखर सम्मेलन में बोलते हुए पूर्व अमेरिकी राजनेता ने कहा कि अमेरिका हर पांच मिनट में भारत से वफादारी की परीक्षा नहीं ले सकता है। उन्होंने भारत-अमेरिका संबंधों को स्थायी और द्विदलीय बताया और जोर दिया कि वॉइट हाउस में जो भी आता है, वह इस रिश्ते के महत्व को जानता है। उन्होंने कहा, ‘जैसा कि भारत कहता है, देश रणनीतिक स्वायत्तता चाहते हैं और मुझे इससे कोई समस्या नहीं है।’ इसके साथ ही उन्होंने भरोसा जताया कि अमेरिका और भारत के गहरे हित अंततः एक मजबूत साझेदारी की ओर ले जाएंगे।
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के हूवर इंस्टीट्यूट की निदेशक राइस ने रूस के सैन्य उपकरणों को कबाड़ बताया। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी की मॉस्को यात्रा से रक्षा के मामले में कोई खास फायदा नहीं होगा। उन्होंने इस बात का भी संकेत किया कि अमेरिका यह समझता है कि वह भारत के साथ सैन्य सहयोग बढ़ाने में धीमा रहा है और उसने कुछ महत्वपूर्ण समय और अवसर खो दिए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पीएम मोदी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के पुतिन की दोस्ती को जानते हैं और यह भारत के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है।
चीन को बताया बड़ी चुनौती
राइस ने चीन को अमेरिका के लिए एक मजबूत प्रतिद्वंद्वी बताया और वर्तमान में दोनों के बीच तनाव को शीत युद्ध से भी गंभीर बताया। उन्होंने इसकी वजह बताते हुए कहा कि शीत युद्ध के समय मॉस्को एक सैन्य ताकत था लेकिन तकनीकी और आर्थिक रूप से पीछे था। वहीं, चीन ने टेक्नोलॉजी का लाभ उठाया है और वैश्विक नेटवर्क और सप्लाई चेन में इतनी अच्छी तरह से घुस चुका है कि इससे निपटना एक कठिन स्थिति है।
रूस और यूक्रेन दौरे पर गए थे पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले तीन महीनों में रूस और यूक्रेन दोनों का दौरा किया था। जुलाई में मॉस्को यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात की थी। इसके बाद अगस्त में पीएम मोदी कीव के दौरे पर गए थे, जहां उन्होंने यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से मुलाकात की। भारत ने जोर देकर कहा है कि वह किसी भी व्यवहार्य और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान या प्रारूप का समर्थन करेगा जो संघर्ष में फंसे दोनों देशों के बीच शांति बहाल कर सके। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल इसी सप्ताह मॉस्को का दौरा करने वाले हैं।