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एम्स भोपाल के डॉक्टरों को मिली अंतरराष्ट्रीय पहचान, कोमेट-2025 में करेंगे भारत का प्रतिनिधित्व


“भोपाल – भारत की चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य अनुसंधान का एक प्रमुख संस्थान, एम्स भोपाल (AIIMS Bhopal) अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान मजबूत कर रहा है। आने वाले अंतरराष्ट्रीय मेडिकल एजुकेशन सम्मेलन ‘कोमेट-2025’ (COMET-2025) में एम्स भोपाल के डॉक्टर भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे।”

यह उपलब्धि न केवल संस्थान के लिए बल्कि देश के लिए भी गौरव का विषय है। चिकित्सा क्षेत्र में वैश्विक भागीदारी और भारत की भूमिका को रेखांकित करने वाली यह घटना शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में भारत के बढ़ते प्रभाव को भी दर्शाती है।


कोमेट-2025: चिकित्सा शिक्षा का वैश्विक मंच

COMET (Conference on Medical Education and Training) एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन है जिसमें दुनियाभर से चिकित्सा विशेषज्ञ, शिक्षक, शोधकर्ता और नीति निर्माता शामिल होते हैं।
इस मंच पर स्वास्थ्य शिक्षा, चिकित्सा प्रशिक्षण, नवाचार, नीतिगत सुधारों और वैश्विक स्वास्थ्य संबंधी विषयों पर चर्चा की जाती है।

कोमेट-2025 में भारत से भाग लेने वाले प्रतिनिधियों में एम्स भोपाल के डॉक्टरों का चयन एक बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है।


डॉ. अजय सिंह: नेतृत्व में नया आयाम

एम्स भोपाल के निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) अजय सिंह का नेतृत्व इस उपलब्धि के पीछे एक महत्वपूर्ण स्तंभ रहा है। उन्होंने संस्थान में शैक्षणिक उत्कृष्टता, अनुसंधान और वैश्विक सहयोग को विशेष महत्व दिया है।

उनका मानना है कि “शिक्षण संस्थानों को सिर्फ ज्ञान का केंद्र नहीं, बल्कि ज्ञान के आदान-प्रदान और नवाचार के प्लेटफॉर्म के रूप में कार्य करना चाहिए।”

उनके द्वारा आरंभ की गई नीतियों और शैक्षणिक दृष्टिकोण ने एम्स भोपाल को न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी प्रतिस्पर्धी बनाया है।


शोध और नवाचार को बढ़ावा

डॉ. सिंह के नेतृत्व में एम्स भोपाल में कई शोध परियोजनाएं शुरू की गईं, जिनका उद्देश्य स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार और देश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों की स्वास्थ्य आवश्यकताओं को समझना है।

चिकित्सा छात्रों को प्रायोगिक शिक्षा, डिजिटल मेडिकल टेक्नोलॉजी, और नवाचार आधारित दृष्टिकोण से प्रशिक्षित किया जा रहा है। यही कारण है कि कोमेट जैसे मंच पर उन्हें आमंत्रित किया गया है।


छात्रों और संकाय के लिए उपलब्ध अवसर

एम्स भोपाल के छात्र अब वैश्विक शिक्षा नेटवर्क का हिस्सा बनते जा रहे हैं। कोमेट-2025 में भाग लेने से न केवल डॉक्टरों को बल्कि छात्रों को भी अंतरराष्ट्रीय स्तर के रिसोर्स और मार्गदर्शन से लाभ मिलेगा।

इस सम्मेलन में भारत की ओर से पेश किए जाने वाले शोधपत्रों, प्रजेंटेशन और कार्यशालाओं में एम्स भोपाल की सक्रिय भागीदारी रहेगी।


भारत की वैश्विक स्वास्थ्य नीति में योगदान

भारत वैश्विक स्वास्थ्य परिदृश्य में अब एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। COVID-19 महामारी के दौरान भारत के चिकित्सा क्षेत्र की भूमिका और वैक्सीन निर्माण ने पूरे विश्व का ध्यान खींचा।

अब जब एम्स भोपाल जैसे संस्थान वैश्विक मंचों पर भाग ले रहे हैं, यह भारत की चिकित्सा शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता और नेतृत्व की पहचान है।


शिक्षण प्रणाली में नवाचार

एम्स भोपाल में नवीनतम डिजिटल टूल्स, सिमुलेशन लैब्स, और केस-आधारित शिक्षण प्रणाली को अपनाया गया है। इससे छात्रों को जमीनी हकीकत के नजदीक अनुभव मिल रहा है।

कोमेट-2025 में एम्स भोपाल के डॉक्टर इन नवाचारों को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ साझा करेंगे, जिससे अन्य देश भी इस पद्धति से लाभान्वित हो सकते हैं।


नारीशक्ति का योगदान

एम्स भोपाल में बड़ी संख्या में महिला डॉक्टर और शोधकर्ता कार्यरत हैं। कोमेट-2025 में कई महिला प्रतिनिधि भी भाग लेंगी, जो चिकित्सा क्षेत्र में लैंगिक समानता को दर्शाता है।


भविष्य की दिशा

कोमेट-2025 में भागीदारी से एम्स भोपाल के लिए भविष्य में और अधिक अंतरराष्ट्रीय सहयोग, शोध अनुदान, शैक्षणिक साझेदारी और छात्र-विनिमय कार्यक्रमों का रास्ता खुलेगा।

डॉ. अजय सिंह ने स्पष्ट किया कि “यह एक शुरुआत भर है। हम चाहते हैं कि एम्स भोपाल वैश्विक स्वास्थ्य शिक्षा के क्षेत्र में एक उदाहरण बने।”


निष्कर्ष

एम्स भोपाल द्वारा कोमेट-2025 में भागीदारी न केवल संस्थान की प्रतिष्ठा को बढ़ाएगी बल्कि भारत को अंतरराष्ट्रीय चिकित्सा शिक्षा में एक सशक्त भागीदार के रूप में प्रस्तुत करेगी।
डॉ. अजय सिंह के कुशल नेतृत्व और डॉक्टरों की कड़ी मेहनत से यह संस्थान नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है।

यह उपलब्धि केवल एम्स भोपाल की नहीं, बल्कि भारत के हर उस युवा चिकित्सक और शोधकर्ता की है जो वैश्विक मंचों पर देश का नाम रोशन करना चाहता है।