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अंसल एपीआई केस में सुनवाई पूरी, NCLAT का फैसला 25 जून को आएगा, निवेशकों में उम्मीद


“लखनऊ – लंबे समय से विवादों में चल रहे अंसल एपीआई (Ansal API) प्रकरण में नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने सुनवाई पूरी कर ली है। 25 जून 2025 को इस बहुचर्चित मामले का फैसला सुनाया जाएगा। लखनऊ के हजारों निवेशकों और आवंटियों की निगाहें इस फैसले पर टिकी हैं।”

🔹 क्या है अंसल API विवाद?

अंसल एपीआई, लखनऊ की एक प्रमुख रियल एस्टेट कंपनी है जिसने पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न आवासीय परियोजनाओं के तहत हजारों फ्लैट्स और प्लॉट्स आवंटित किए।
हालांकि, समय पर कब्जा न देने, अधूरी सुविधाओं, नक्शा पास न होने और आर्थिक अनियमितताओं जैसे आरोपों के कारण निवेशक और आवंटी लंबे समय से परेशान हैं।

लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) और विभिन्न आवंटी समूहों द्वारा बार-बार शिकायत किए जाने के बाद मामला नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) और फिर NCLAT तक पहुंच गया।


🔹 NCLAT में क्या हुई सुनवाई?

NCLAT में यह सुनवाई कई महीनों से चल रही थी, जिसमें आवंटियों, निवेशकों, और कंपनी के वकीलों की दलीलें सुनी गईं।
इस केस में मुख्य मुद्दे निम्नलिखित रहे:

  • कब्जा न देने की शिकायतें
  • खरीदारों से ली गई अतिरिक्त धनराशि
  • प्रोजेक्ट डिले पर मुआवज़ा
  • अधूरी सुविधाएं
  • दिवालिया प्रक्रिया की वैधता

अब जब सुनवाई पूरी हो चुकी है, ट्रिब्यूनल ने 25 जून को अपना निर्णय सुरक्षित रखा है।


🔹 निवेशकों और आवंटियों की प्रतिक्रिया

लखनऊ और अन्य शहरों से आए आवंटी व निवेशक NCLAT की सुनवाई के दौरान काफी सक्रिय रहे।
“हमें उम्मीद है कि न्याय मिलेगा। हमने अपनी जिंदगी भर की कमाई इन घरों में लगाई है,” ऐसा कहना है गोमती नगर निवासी एक आवंटी का।

अधिकतर निवेशकों का कहना है कि यदि NCLAT का फैसला उनके पक्ष में आता है, तो वर्षों की पीड़ा को राहत मिल सकती है।


🔹 कंपनी की ओर से दी गई दलीलें

अंसल API की ओर से वकीलों ने तर्क दिया कि उन्होंने कई प्रोजेक्ट्स पर कार्य शुरू कर दिया है और वित्तीय कठिनाइयों के कारण देरी हुई।
कंपनी ने यह भी दावा किया कि कुछ प्रोजेक्ट्स एलडीए द्वारा रोके गए नक्शों के कारण अटके हुए हैं।

हालांकि, ट्रिब्यूनल ने कंपनी से यह भी पूछा कि क्यों आवंटियों को समय पर सूचना और विकल्प नहीं दिए गए।


🔹 फैसले के संभावित प्रभाव

अगर 25 जून को NCLAT का फैसला निवेशकों के पक्ष में आता है, तो यह भारत के रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक निर्णय होगा।
न्याय मिलने पर यह संकेत देगा कि “ग्राहक राजा है” और उसकी आवाज को अनसुना नहीं किया जा सकता।

संभावित फैसले से यह असर हो सकता है:

  • अंसल API की परियोजनाओं का टेकओवर
  • खरीदारों को रिफंड या कब्जा
  • कंपनी के खिलाफ दिवालिया कार्रवाई
  • निवेशकों को मुआवज़ा

🔹 LDA की भूमिका और जवाबदेही

लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) की भूमिका भी इस केस में सवालों के घेरे में रही है।
आवंटी बार-बार यह आरोप लगाते रहे हैं कि एलडीए ने समय रहते हस्तक्षेप नहीं किया।
अब NCLAT के आदेश के बाद संभव है कि एलडीए पर भी निगरानी कड़ी हो।


🔹 विधिक विशेषज्ञों की राय

विधिक जानकारों का कहना है कि NCLAT का फैसला रियल एस्टेट कानून (RERA), दिवालिया और दिवालियापन संहिता (IBC) तथा उपभोक्ता संरक्षण कानूनों को संतुलित करते हुए आएगा।

एक वरिष्ठ अधिवक्ता के अनुसार:
“यह फैसला देश के अन्य प्रोजेक्ट्स के लिए मिसाल बन सकता है। अदालत को ग्राहकों की पीड़ा और कंपनी की वास्तविक स्थिति दोनों पर संतुलित दृष्टिकोण अपनाना होगा।”


🔹 निवेशकों को क्या करना चाहिए?

जब तक फैसला नहीं आता, निवेशकों को निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:

  • केस की अपडेट्स पर नज़र रखें
  • अपने दस्तावेज़ तैयार रखें
  • वैध रजिस्ट्रेशन और रसीद सुरक्षित रखें
  • वकील से सलाह लेते रहें
  • समूह में संगठित होकर आवाज़ बुलंद करें

🔹 निष्कर्ष: अब निगाहें 25 जून पर

लखनऊ में अंसल API विवाद अब निर्णायक मोड़ पर आ चुका है। 25 जून को NCLAT जो भी निर्णय सुनाएगा, वह न केवल हज़ारों आवंटियों के जीवन को प्रभावित करेगा, बल्कि भारत में रियल एस्टेट पारदर्शिता की दिशा में एक मील का पत्थर भी साबित हो सकता है।

निवेशक उम्मीद कर रहे हैं कि न्याय की जीत होगी और उन्हें उनके सपनों का घर मिलेगा।