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आसाराम को सुप्रीम कोर्ट से मिली अंतरिम जमानत: स्वास्थ्य कारणों पर दी गई राहत


सुप्रीम कोर्ट ने धार्मिक गुरु आसाराम को स्वास्थ्य आधार पर अंतरिम जमानत दे दी है। उन्हें यह जमानत कुछ विशेष शर्तों के साथ दी गई है। आसाराम लंबे समय से जेल में बंद हैं और हाल ही में उन्होंने अपने बिगड़ते स्वास्थ्य का हवाला देते हुए जमानत की याचिका दायर की थी।

जमानत की शर्तें

सुप्रीम कोर्ट ने जमानत देते हुए कुछ शर्तें लगाई हैं, जिनका पालन करना आसाराम के लिए अनिवार्य होगा।

  1. आसाराम को इलाज के लिए केवल अस्पताल जाने की अनुमति होगी।
  2. वे किसी भी प्रकार की जनसभा या सार्वजनिक कार्यक्रम में हिस्सा नहीं ले सकेंगे।
  3. जमानत की अवधि के दौरान वे किसी भी गवाह या पीड़ित के संपर्क में नहीं आएंगे।
  4. उन्हें अदालत द्वारा तय की गई तारीख पर वापस जेल लौटना होगा।

क्या है मामला?

आसाराम पर कई आपराधिक मामलों में आरोप लगे हैं, जिनमें से एक प्रमुख मामला नाबालिग के यौन उत्पीड़न का है। उन्हें 2018 में जोधपुर की अदालत ने दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इसके बाद से ही आसाराम जेल में बंद हैं।

स्वास्थ्य के आधार पर दी गई जमानत

आसाराम ने अपने वकील के जरिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने अपने बिगड़ते स्वास्थ्य का हवाला दिया था। याचिका में कहा गया कि आसाराम को कई गंभीर बीमारियाँ हैं और उन्हें नियमित इलाज की जरूरत है।

आसाराम के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि उन्हें उचित मेडिकल सुविधाएँ नहीं मिल पा रही हैं और उनकी हालत लगातार बिगड़ रही है। उन्होंने कहा कि जेल के भीतर इलाज की सुविधाएँ पर्याप्त नहीं हैं और उन्हें बेहतर इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती किया जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि किसी भी व्यक्ति को उचित इलाज का अधिकार है। अदालत ने कहा कि आसाराम की उम्र और स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए उन्हें अस्थायी रूप से जमानत दी जा रही है, लेकिन यह जमानत केवल इलाज के लिए है।

विरोध और समर्थन की प्रतिक्रियाएँ

इस फैसले के बाद समाज में मिली-जुली प्रतिक्रियाएँ देखने को मिल रही हैं। आसाराम के समर्थकों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है और कहा है कि यह मानवता का सही उदाहरण है। वहीं, कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और पीड़ित पक्ष ने इस फैसले की आलोचना की है।

पीड़ित पक्ष के वकील ने कहा, “हम इस फैसले से निराश हैं। हमें डर है कि जमानत का गलत इस्तेमाल किया जा सकता है।” उन्होंने अदालत से इस फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की है।

जेल में आसाराम का जीवन

आसाराम पिछले कई वर्षों से जेल में बंद हैं। जेल प्रशासन के अनुसार, आसाराम की तबीयत जेल में अक्सर खराब रहती है और उन्हें नियमित रूप से डॉक्टरों की देखरेख की जरूरत होती है। हालांकि, जेल अधिकारियों ने यह भी कहा कि उन्हें जेल में पर्याप्त चिकित्सा सुविधाएँ उपलब्ध कराई जा रही हैं।

राजनीतिक और धार्मिक प्रभाव

आसाराम का मामला देशभर में काफी चर्चा में रहा है। उनके खिलाफ लगे गंभीर आरोपों के बावजूद उनके अनुयायियों की संख्या काफी बड़ी है। धार्मिक और राजनीतिक संगठनों पर भी उनके प्रभाव की बातें अक्सर सामने आती रही हैं।

निष्कर्ष

सुप्रीम कोर्ट द्वारा आसाराम को दी गई अंतरिम जमानत ने एक बार फिर उनके मामले को सुर्खियों में ला दिया है। स्वास्थ्य आधार पर दी गई यह जमानत अस्थायी है और इसके साथ कई शर्तें भी जुड़ी हुई हैं। अब यह देखना होगा कि अदालत द्वारा लगाए गए शर्तों का पालन कैसे किया जाएगा और क्या यह जमानत पीड़ित पक्ष को संतोषजनक लगेगी या नहीं।