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भोपाल – केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय भोपाल में भावप्रकाश ग्रंथ पर चल रही कार्यशाला


काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के विद्वान ने बताया भावप्रकाश में छिपे चिकित्सा विज्ञान, धातुविज्ञान और नाट्यशास्त्र के तत्व; संस्कृत अध्ययन को बताया शोध की पहली शर्त   भोपाल(मप्र), 15 जून 2025।

भोपाल स्थित केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में चल रही 21 दिवसीय कार्यशाला के 14वें दिन काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी से पधारे मूर्धन्य विद्वान प्रो. सदाशिवकुमार द्विवेदी ने भावप्रकाश ग्रंथ की विशेषताओं पर गहन प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि यह ग्रंथ न केवल साहित्यिक कृति है, बल्कि इसमें जीवविज्ञान, धातुविज्ञान और भारतीय कला की गहन वैज्ञानिक व्याख्याएं समाहित हैं। 

प्रो. द्विवेदी ने कहा कि भावप्रकाश का सातवां अधिकार जीव निर्माण की प्रक्रिया का वैज्ञानिक वर्णन करता है, जिसमें गर्भस्थ शिशु की शारीरिक संरचना, नाड़ी, प्राण, अपान, उदान आदि की स्थितियां विस्तार से वर्णित हैं। यह पूरी प्रक्रिया आधुनिक मेडिकल साइंस के सिद्धांतों से मेल खाती है और आज के चिकित्सा शोधकर्ताओं के लिए भी अत्यंत उपयोगी है। 

उन्होंने यह भी बताया कि इस ग्रंथ के रचयिता शारदातनय नाट्यशास्त्र, विज्ञान, चिकित्सा एवं कला के बहुविषयक विद्वान रहे हैं। उन्होंने नाट्य सिद्धांतों के साथ विज्ञान के तत्वों को समाहित कर भारतीय ज्ञान परंपरा का अद्भुत चित्र प्रस्तुत किया है। 

प्रो. द्विवेदी ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसे दुर्लभ ग्रंथों पर विचार-विनिमय और अनुसंधान आज की आवश्यकता है, जिसके लिए संस्कृत का अध्ययन अनिवार्य है। उन्होंने केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय द्वारा भोजराज की पावन ज्ञानभूमि भोपाल में इस कार्यशाला के आयोजन को एक ऐतिहासिक पहल बताया, जिसमें देशभर के छात्र भाग लेकर भावप्रकाश जैसे ग्रंथ का अध्ययन कर रहे हैं।