IIT बाबा’ के बयान से विवाद: महात्मा गांधी और इस्लाम पर टिप्पणी से शैक्षणिक और सामाजिक हलकों में बहस
आईआईटी मुंबई से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुके और ‘IIT बाबा’ के नाम से मशहूर अभय सिंह ने हाल ही में महात्मा गांधी और इस्लाम धर्म पर दिए गए विवादित बयानों से एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। उनके बयान ने सामाजिक और शैक्षणिक क्षेत्रों में बहस को जन्म दिया है, जिससे उनकी छवि और विचारधारा पर सवाल उठने लगे हैं।
क्या कहा ‘IIT बाबा’ ने?
एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान, अभय सिंह ने महात्मा गांधी को दिए गए ‘राष्ट्रपिता’ की उपाधि को चुनौती दी और इसे औपनिवेशिक मानसिकता का परिणाम बताया। इसके साथ ही, उन्होंने इस्लाम धर्म पर कुछ विवादित टिप्पणियां कीं, जिन्हें कई लोग अपमानजनक और भड़काऊ मान रहे हैं। उनकी टिप्पणियों ने विभिन्न समुदायों और संगठनों में तीखी प्रतिक्रियाएं पैदा की हैं।
विवाद का दायरा
‘IIT बाबा’ के बयान पर देश भर के शिक्षाविदों, राजनेताओं, और सामाजिक संगठनों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। कई लोगों ने उनके विचारों को “सांप्रदायिक और विभाजनकारी” बताया है, जबकि कुछ लोग इसे “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता” का मामला मान रहे हैं।
शैक्षणिक जगत की प्रतिक्रिया
आईआईटी मुंबई के कई पूर्व छात्रों और प्रोफेसरों ने अभय सिंह के बयानों से असहमति जताई है। उन्होंने कहा कि “ऐसे बयान समाज को बांटने का काम करते हैं और भारत की सांस्कृतिक विविधता और एकता के खिलाफ हैं।”
कानूनी कार्रवाई की मांग
कुछ संगठनों ने अभय सिंह के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि ऐसे बयान समाज में अशांति फैलाने की मंशा रखते हैं और इससे धार्मिक सद्भाव को नुकसान हो सकता है।
अभय सिंह का बचाव
दूसरी ओर, ‘IIT बाबा’ ने अपने बयान का बचाव करते हुए इसे “सत्य की खोज” और “तथ्यों पर आधारित” बताया है। उन्होंने कहा कि उनके विचार व्यक्तिगत हैं और किसी समुदाय को आहत करने का उनका उद्देश्य नहीं है।
समाज पर प्रभाव
यह विवाद न केवल सामाजिक स्तर पर बहस को जन्म दे रहा है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा कर रहा है कि शैक्षणिक उपलब्धियों का उपयोग किस तरह किया जाना चाहिए। अभय सिंह जैसे प्रतिष्ठित शैक्षणिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्ति के बयान ने यह चिंता पैदा की है कि इस तरह की टिप्पणियां समाज में सांप्रदायिक तनाव बढ़ा सकती हैं।
निष्कर्ष
‘IIT बाबा’ के विवादित बयान ने शैक्षणिक और सामाजिक हलकों में गहरी बहस छेड़ दी है। जहां कुछ लोग इसे उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मानते हैं, वहीं कई लोग इसे समाज के ताने-बाने को नुकसान पहुंचाने वाला कदम कह रहे हैं। यह मामला इस बात पर जोर देता है कि सार्वजनिक व्यक्तित्वों को अपने विचार व्यक्त करते समय जिम्मेदारी और संवेदनशीलता का पालन करना चाहिए।