National

महाराष्ट्र में दलित युवक की हिरासत में मौत: न्यायिक प्रणाली पर सवाल


महाराष्ट्र के परभणी जिले में एक दलित युवक की न्यायिक हिरासत के दौरान संदिग्ध परिस्थितियों में मौत ने राज्य और देशभर में हड़कंप मचा दिया है। इस घटना ने न्यायिक प्रणाली की पारदर्शिता और पुलिस कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं, जबकि विपक्ष ने इसे सरकार की विफलता बताया है।

घटना का विवरण

परभणी जिले के एक युवक, जिसकी पहचान अभी सार्वजनिक नहीं की गई है, को एक मामूली आपराधिक मामले में पुलिस ने गिरफ्तार किया था। हिरासत में रहते हुए उसकी तबीयत बिगड़ने की खबर मिली, जिसके बाद उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। परिवार के आरोप हैं कि युवक पर हिरासत के दौरान शारीरिक उत्पीड़न किया गया, जिससे उसकी मौत हुई।

राजनीतिक प्रतिक्रिया

घटना के बाद राज्य में राजनीतिक माहौल गरमा गया है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को मृतक के परिवार से मिलने की घोषणा की है। उन्होंने इस घटना को दलितों के साथ हो रहे अन्याय का प्रतीक बताया और कहा कि सरकार को ऐसे मामलों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को सदन में उठाने की योजना बनाई है।

सरकार का रुख

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने घटना पर शोक व्यक्त करते हुए दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया है। उन्होंने एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है, जो इस मामले की गहराई से जांच करेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ऐसी घटनाओं को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगी।

न्यायिक हिरासत में मौत: एक व्यापक समस्या

भारत में हिरासत के दौरान होने वाली मौतें कोई नई बात नहीं हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, हर साल सैकड़ों लोग पुलिस और न्यायिक हिरासत में अपनी जान गंवाते हैं। इनमें से कई मामलों में मानवाधिकार संगठनों ने पुलिस द्वारा अत्याचार और कुप्रबंधन का आरोप लगाया है। परभणी की यह घटना इस व्यापक समस्या की एक और कड़ी है।

सामाजिक दृष्टिकोण

दलित समुदाय के प्रति हो रहे अत्याचार पर विभिन्न सामाजिक संगठनों ने भी चिंता व्यक्त की है। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की है और इसे दलितों के प्रति व्यवस्था की असंवेदनशीलता का उदाहरण बताया है।

आगे की राह

इस घटना ने न्यायिक और पुलिस सुधारों की आवश्यकता को फिर से उजागर किया है। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस की जवाबदेही सुनिश्चित करना, हिरासत में मानवीय व्यवहार का पालन करना और दोषियों को सख्त सजा देना बेहद जरूरी है।

परभणी की यह घटना सिर्फ एक व्यक्ति की मौत नहीं है, बल्कि न्याय और समानता के सिद्धांतों पर एक गंभीर सवाल है। देखना होगा कि सरकार और न्यायपालिका इस मामले में कैसे आगे बढ़ती है।