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दिल्ली चुनाव: आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस से गठबंधन से किया इनकार, केजरीवाल का बड़ा ऐलान


नई दिल्ली:
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को बड़ा ऐलान किया कि आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करेगी। केजरीवाल ने यह स्पष्ट करते हुए कहा कि AAP स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ेगी और जनता के विकास कार्यों को आधार बनाकर दोबारा सत्ता में लौटेगी।

गठबंधन की अटकलों पर विराम

पिछले कुछ महीनों से राजनीतिक गलियारों में कांग्रेस और AAP के बीच गठबंधन की अटकलें लगाई जा रही थीं। लेकिन मुख्यमंत्री के इस ऐलान के साथ ही इन अटकलों पर विराम लग गया।

केजरीवाल ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा:
“दिल्ली की जनता ने हमेशा हमें भारी समर्थन दिया है। हम उनकी उम्मीदों पर खरे उतरे हैं और अकेले चुनाव लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। कांग्रेस के साथ गठबंधन का सवाल ही नहीं उठता।”

AAP का विकास एजेंडा

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी का फोकस जनहित के कार्यों पर है।

  • शिक्षा सुधार: दिल्ली में सरकारी स्कूलों की स्थिति सुधारने के लिए AAP सरकार की सराहना होती रही है।
  • स्वास्थ्य सेवाएं: मोहल्ला क्लीनिक और मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाएं AAP की प्रमुख उपलब्धियों में शामिल हैं।
  • बिजली और पानी: दिल्ली में मुफ्त बिजली और पानी योजनाओं ने जनता को बड़ी राहत दी है।

केजरीवाल ने कहा कि उनकी पार्टी इन मुद्दों पर जनता के बीच जाएगी और कांग्रेस या अन्य दलों से गठबंधन की जरूरत नहीं है।

कांग्रेस का रुख

इस ऐलान के बाद कांग्रेस की तरफ से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने गठबंधन के सवाल पर AAP की आलोचना की है। कांग्रेस के एक नेता ने कहा:
“AAP सिर्फ दिल्ली में मजबूत है। गठबंधन से इनकार करना उनकी राजनीतिक भूल साबित हो सकती है।”

विपक्ष की रणनीति

दिल्ली में विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (BJP) पहले से ही AAP के खिलाफ चुनावी मैदान में मजबूती से उतरने की तैयारी कर रही है। बीजेपी नेताओं का कहना है कि कांग्रेस और AAP के बीच गठबंधन टूटने से विपक्ष कमजोर होगा, और इसका फायदा बीजेपी को मिलेगा।

AAP का आत्मविश्वास

AAP के इस ऐलान से यह साफ है कि पार्टी दिल्ली में अपनी स्थिति को लेकर आत्मविश्वास से भरी हुई है। 2020 के विधानसभा चुनाव में AAP ने 70 में से 62 सीटें जीतकर ऐतिहासिक प्रदर्शन किया था। पार्टी को भरोसा है कि इस बार भी जनता उनके विकास कार्यों पर मुहर लगाएगी।

राजनीतिक विश्लेषकों की राय

विश्लेषकों का कहना है कि कांग्रेस और AAP का गठबंधन न होना बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। बीजेपी का वोट शेयर बढ़ सकता है क्योंकि कांग्रेस के वोट AAP से दूर जा सकते हैं।

आगे का रास्ता

आम आदमी पार्टी ने चुनावी तैयारियां तेज कर दी हैं और “काम की राजनीति” को ही अपना मुख्य नारा बनाने का संकेत दिया है। केजरीवाल ने कहा कि उनकी सरकार दिल्ली को एक आधुनिक, बेहतर और जनहितकारी राजधानी बनाने के लिए काम करती रहेगी।

अब देखना होगा कि AAP का अकेले चुनाव लड़ने का यह फैसला दिल्ली के राजनीतिक समीकरणों को किस दिशा में मोड़ता है। विधानसभा चुनाव के लिए सभी दलों ने अपनी रणनीति पर काम शुरू कर दिया है।