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प्रसिद्ध तबला वादक उस्ताद ज़ाकिर हुसैन का निधन, संगीत जगत में शोक की लहर


सैन फ्रांसिस्को/मुंबई:
विश्व विख्यात तबला वादक और पद्म विभूषण से सम्मानित उस्ताद ज़ाकिर हुसैन का अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में 73 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके निधन की खबर से संगीत जगत और उनके चाहने वालों में शोक की लहर दौड़ गई है।

संगीत का एक युग समाप्त

उस्ताद ज़ाकिर हुसैन को भारतीय शास्त्रीय संगीत के सबसे बेहतरीन तबला वादकों में गिना जाता था। उन्होंने अपने जीवन में भारतीय संगीत को वैश्विक मंच पर स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके निधन को संगीत प्रेमी एक युग का अंत मान रहे हैं।

संगीत जगत का योगदान

उस्ताद ज़ाकिर हुसैन ने अपनी कला के जरिए दुनियाभर में भारतीय शास्त्रीय संगीत का परचम लहराया। उनके तबला वादन की खासियत थी उनकी लयकारी, ताल की अद्भुत पकड़ और मंच पर उनकी ऊर्जा। उन्होंने पंडित रविशंकर, अली अकबर खान, हरिप्रसाद चौरसिया जैसे दिग्गज कलाकारों के साथ संगत की और कई वैश्विक संगीतकारों के साथ भी काम किया।

अंतरराष्ट्रीय पहचान

ज़ाकिर हुसैन न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी भारतीय संगीत का चेहरा थे। उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय संगीत कार्यक्रमों में हिस्सा लिया और तबले को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई। उनकी कला के लिए उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था, जिसमें पद्मश्री, पद्म भूषण, पद्म विभूषण जैसे सम्मान शामिल हैं।

प्रसिद्ध संगीतकारों की श्रद्धांजलि

  • पंडित जसराज (संगीतकार): “ज़ाकिर भाई का जाना संगीत जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनका तबला वादन अमर रहेगा।”
  • ए आर रहमान (संगीतकार): “उन्होंने भारतीय संगीत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उनकी कमी हमेशा खलेगी।”

परिवार और शिष्य

उस्ताद ज़ाकिर हुसैन का जन्म 1951 में प्रसिद्ध तबला वादक उस्ताद अल्ला रखा के घर हुआ था। उन्होंने अपने पिता से ही संगीत की शिक्षा प्राप्त की और आगे चलकर अपने शिष्यों को भी संगीत का ज्ञान दिया।

आखिरी विदाई

परिवार के अनुसार, ज़ाकिर हुसैन का अंतिम संस्कार सैन फ्रांसिस्को में किया जाएगा, जिसमें करीबी मित्र और परिवारजन शामिल होंगे। भारत में भी उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए विशेष कार्यक्रमों का आयोजन होगा।


निष्कर्ष:
उस्ताद ज़ाकिर हुसैन का निधन भारतीय और वैश्विक संगीत जगत के लिए एक बड़ी क्षति है। उनकी कला और योगदान हमेशा याद रखे जाएंगे, और आने वाली पीढ़ियों के लिए वे प्रेरणा बने रहेंगे।