धार जिले में होली के अवसर पर गल-चूल मेले का हुआ आयोजन
मालवा और निमाड़ अंचल में एक सप्ताह से चले आ रहे आदिवासी संस्कृति के लोक पर्व भगोरिया का धुरैंडी पर समापन हो गया। धार जिले के तिरला ,दसई, भोपावर सहित अनेक स्थानों पर गल – चूल के मेले और भगोरिया मेले लगे।
गल – चूल के मेलो में आदिवासी समाज की परंपरा अनुसार मन्नत धारियों द्वारा अपनी मन्नत पूरी होने पर कंडे की धधकती आग में चल कर और कई फीट ऊंचे मचान पर घूम कर गल – चूल की परंपरा का निर्वहन किया गया। वहीं देर शाम से सुबह तक भगोरिया की धूम रही।
मेले में बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के लोग बच्चों से लगाकर बुजुर्ग तक और युवा महिला – पुरुष आधुनिक वेशभूषा और रंग बिरंगी पारंपरिक वेशभूषा धारण कर भगोरिया पर्व का आनंद लेने पहुंचे और नृत्य के साथ मेले में लगे झूले , चकरी ,आदि का भी जमकर लुफ्त उठाया। तिरला के गंगानगर में आयोजित गल – चूल मेले और भगोरिया मेले में ढोल , मांदल की थाप , थाली की खनक, बांसुरी की मधुर तान के साथ हजारों की संख्या में लोगों ने भगोरिया पर्व का उमंग ,उत्साह के साथ पारंपरिक भगोरिया नृत्य कर आनंद लिया।