हाशिमपुरा कांड: सुप्रीम कोर्ट ने 8 दोषियों को दी जमानत, 38 लोगों की मौत का मामला
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने देश के चर्चित हाशिमपुरा नरसंहार मामले में बड़ी राहत देते हुए 8 दोषियों को जमानत दे दी है। 1987 में हुए इस दर्दनाक कांड में 38 लोगों की मौत हुई थी, जिसे भारतीय इतिहास के सबसे भयावह सामूहिक हत्याकांडों में गिना जाता है।
मामले की पृष्ठभूमि
हाशिमपुरा नरसंहार 22 मई 1987 को उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में हुआ था। आरोप है कि पीएसी (प्रांतीय सशस्त्र बल) के जवानों ने अल्पसंख्यक समुदाय के 42 लोगों को हिरासत में लिया और उन्हें गोली मार दी। इनमें से 38 लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना ने देशभर में गहरा आक्रोश पैदा किया था और इंसाफ की मांग दशकों तक चली।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों द्वारा जमानत की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि दोषी काफी लंबे समय से सजा काट रहे हैं और मामले की समीक्षा करते हुए उन्हें जमानत दी जा रही है। कोर्ट ने यह भी कहा कि जमानत का मतलब मामले का निपटारा नहीं है और दोषियों पर अंतिम फैसला सुनाया जाना अभी बाकी है।
जमानत के आधार
- दोषियों द्वारा सजा की लंबी अवधि पहले ही काट ली गई है।
- स्वास्थ्य और उम्र का हवाला देते हुए जमानत की मांग की गई थी।
- मामले की कानूनी प्रक्रिया दशकों से लंबित है, जिससे सुप्रीम कोर्ट ने सशर्त जमानत देने का निर्णय लिया।
पीड़ित परिवारों की प्रतिक्रिया
हाशिमपुरा कांड के पीड़ित परिवारों ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर नाराजगी जाहिर की है। उनका कहना है कि उन्हें अभी तक न्याय नहीं मिला है और दोषियों की जमानत उनके जख्मों को फिर से कुरेदने जैसा है।
एक पीड़ित के परिजन ने कहा:
“हम तीन दशक से ज्यादा समय से न्याय का इंतजार कर रहे हैं। जमानत का फैसला हमारे लिए दुखद है।”
कानूनी लड़ाई का सफर
- 1987: घटना के तुरंत बाद मामला दर्ज हुआ था।
- 2002: मामले की सुनवाई दिल्ली की अदालत में स्थानांतरित की गई।
- 2015: निचली अदालत ने सभी आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था।
- 2018: दिल्ली हाईकोर्ट ने दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
- 2024: सुप्रीम कोर्ट ने 8 दोषियों को जमानत दी।
आगे की कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि मामला अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है और दोषियों को अंतिम सुनवाई के लिए उपस्थित रहना होगा। अदालत ने यह भी कहा कि जमानत के बाद दोषी किसी भी तरह की अवैध गतिविधियों में शामिल नहीं हो सकते।
निष्कर्ष
हाशिमपुरा नरसंहार भारतीय न्याय प्रणाली के लिए एक लंबी कानूनी लड़ाई का प्रतीक है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने एक बार फिर इस मामले को चर्चा में ला दिया है। हालांकि, पीड़ित परिवारों का दर्द और न्याय की आस अभी भी बाकी है।