सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन अधिनियम की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट की तीन-न्यायाधीशों की बेंच — मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवै (B.R. Gavai), जुडिशियल जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह — ने निर्धारित किया कि अगली सुनवाई 5 मई 2025 को होगी, जिसमें मामले की पूर्व-आवेदिक बाधाएं (preliminary objections) और अंतरिम राहत (interim relief) पर विचार होगा ।
🔎 केंद्र सरकार का पक्ष
- तीन मुद्दों पर सुनवाई सीमित की जाए: केंद्र ने न्यायालय से आग्रह किया कि विवादित कानून की वैधता पर सिर्फ तीन संवैधानिक पहलुओं पर सुनवाई की जाए — वक्फ संपत्तियों का डीनॉटिफिकेशन, वक्फ बोर्ड की संरचना, और ‘वक्फ बाई यूजर’ का अधिकार ।
- अंतरिम रोक की गारंटी: केंद्र ने अदालत को आश्वस्त किया कि 17 अप्रैल से 5 मई तक वक्फ संपत्तियों को डीनॉटिफाई नहीं किया जाएगा, और ना ही वक्फ परिषदों/बोर्डों में नियुक्तियाँ की जाएँगी ।
🚫 ठहराव या रोक नहीं
- अदालत ने फिलहाल पूरे कानून पर कोई स्थायी रोक नहीं लगाई, केवल अंतरिम रोक की संभावना पर विचार के लिए 5 मई तक सुनवाई टाल दी ।
- नए याचिकाओं की शिकायतों को फिलहाल नहीं माना गया; अदालत ने सिर्फ पाँच मुख्य याचिकाओं पर सुनवाई करने पर सहमति ।
📝 याचिकाएँ: कौन-कौन पक्षकार?
- फ़ाइल किए गए पांच याचिकाओं में प्रमुख हैं:
- असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM याचिका।
- कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद, CPI, All India Muslim Personal Law Board (AIMPLB), Jamiat Ulama-e-Hind, तथा अन्य समूहों द्वारा समर्थित याचिकाएँ ।
⚠️ मुख्य कानूनी मुद्दे
- वक्फ बाई यूजर: क्या बिना औपचारिक घोषणा के उपयोग से संपत्ति वक्फ मानी जाए?
- वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति: क्या यह धार्मिक स्वायत्तता का उल्लंघन है?
- वक्फ संपत्तियों का डीनॉटिफिकेशन: क्या केंद्र द्वारा संपत्तियाँ वापस लेना संवैधानिक है?
- धर्मनिरपेक्षता vs. सरकार की भागीदारी: क्या संविधान के अनुच्छेद 26(b) d के तहत यह निगरानी बनी रहती है?