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सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले: धार्मिक स्थलों और चुनावी बांड योजना पर बड़ा निर्णय


भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने आज दो बड़े और महत्वपूर्ण फैसले सुनाए हैं, जो देश की न्याय प्रणाली और लोकतांत्रिक संरचना पर गहरा प्रभाव डालेंगे। ये फैसले धार्मिक स्थलों से जुड़े विवादों और चुनावी बांड योजना को लेकर हैं। आइए, इन दोनों विषयों पर विस्तार से चर्चा करें।

धार्मिक स्थलों के विवादों पर रोक

सुप्रीम कोर्ट ने धार्मिक स्थलों से जुड़े विवादों के मामलों पर सभी निचली अदालतों को सुनवाई करने से रोका है। यह निर्णय संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत लिया गया है, जो सुप्रीम कोर्ट को विशेष शक्तियां प्रदान करता है। न्यायालय ने कहा कि:

  1. धार्मिक स्थलों पर विवाद से सामाजिक सौहार्द बिगड़ सकता है और इन मामलों को संवेदनशील तरीके से हल करने की आवश्यकता है।
  2. इन मामलों को अब केवल उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट द्वारा ही सुना जाएगा। इससे न्यायिक प्रक्रियाओं में स्थिरता आएगी और अनावश्यक मुकदमेबाजी रोकी जा सकेगी।

यह फैसला ग्यानवापी, मथुरा और अन्य विवादित धार्मिक स्थलों से जुड़े मामलों की पृष्ठभूमि में आया है। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि इस तरह के विवादों को सुलझाने के लिए एक स्वतंत्र आयोग का गठन किया जाएगा। यह आयोग तथ्यों का अध्ययन करेगा और न्यायालय को अपनी रिपोर्ट सौंपेगा।

चुनावी बांड योजना का अंत

सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना को समाप्त करने का निर्णय लिया है, जिसे 2017 में केंद्र सरकार द्वारा शुरू किया गया था। इस योजना के तहत राजनीतिक दलों को अज्ञात स्रोतों से दान प्राप्त करने की अनुमति दी गई थी।

कोर्ट के मुख्य तर्क:

  1. पारदर्शिता की कमी: कोर्ट ने कहा कि चुनावी बांड योजना से धन स्रोतों का पता लगाना मुश्किल हो गया है, जिससे काले धन को बढ़ावा मिला है।
  2. लोकतंत्र पर खतरा: गुप्त दान की प्रक्रिया से राजनीतिक दलों के बीच असंतुलन बढ़ा और लोकतंत्र की नींव कमजोर हुई।

प्रभाव:

इस निर्णय के बाद, राजनीतिक दल अब केवल पारदर्शी तरीकों से ही चंदा प्राप्त कर सकेंगे। चुनाव आयोग ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह भारतीय चुनाव प्रणाली को अधिक निष्पक्ष और पारदर्शी बनाएगा।

जन प्रतिक्रिया

इन दोनों फैसलों को लेकर समाज के विभिन्न वर्गों से मिश्रित प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। धार्मिक स्थलों के विवादों पर रोक को एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है, जिससे सांप्रदायिक तनाव को कम करने में मदद मिलेगी। वहीं, चुनावी बांड योजना के खात्मे को लोकतंत्र की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

निष्कर्ष

सुप्रीम कोर्ट के ये दोनों फैसले भारत के न्यायिक और लोकतांत्रिक ढांचे को मजबूत बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे। जहां एक ओर धार्मिक स्थलों के विवादों को लेकर समाज में शांति और सौहार्द बनाए रखने का प्रयास है, वहीं दूसरी ओर चुनावी बांड योजना को समाप्त कर पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ावा दिया गया है।