कोलकाता पुस्तक मेला विवाद: हाई कोर्ट का हस्तक्षेप, विश्व हिंदू परिषद को स्टॉल देने का निर्देश
कोलकाता पुस्तक मेले में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) को स्टॉल आवंटित करने को लेकर शुरू हुए विवाद में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने गिल्ड को फटकार लगाते हुए विहिप को स्टॉल आवंटित करने का निर्देश दिया है। इस फैसले के बाद मेले के आयोजन से जुड़े विवाद ने नया मोड़ ले लिया है।
क्या है मामला?
विश्व हिंदू परिषद ने कोलकाता पुस्तक मेले में अपने संगठन के प्रचार और साहित्य प्रदर्शन के लिए स्टॉल आवंटन का अनुरोध किया था। लेकिन आयोजक गिल्ड ने इसे खारिज कर दिया। गिल्ड ने अपने निर्णय के पीछे तर्क दिया कि मेले की प्रकृति साहित्यिक और सांस्कृतिक है, और इसे राजनीति और धार्मिक संगठनों से दूर रखा जाना चाहिए।
उच्च न्यायालय का निर्णय
विश्व हिंदू परिषद ने इस फैसले को चुनौती देते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने आयोजकों की मंशा पर सवाल उठाए और कहा कि किसी भी संगठन को विचारधारा के आधार पर अलग नहीं किया जा सकता। अदालत ने गिल्ड को तुरंत विहिप को स्टॉल आवंटित करने का निर्देश दिया और कहा कि मेले में विविध विचारधाराओं को स्थान देना ही लोकतंत्र की ताकत है।
गिल्ड की प्रतिक्रिया
अदालत के आदेश के बाद गिल्ड ने कहा कि वे अदालत के निर्णय का सम्मान करेंगे और विहिप को स्टॉल आवंटित करेंगे। हालांकि, गिल्ड ने यह भी स्पष्ट किया कि वे इस फैसले के बाद मेले की मूल प्रकृति और उद्देश्य को बनाए रखने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएंगे।
विवाद के पीछे की बहस
यह विवाद साहित्य और राजनीति के बीच संतुलन बनाए रखने की जटिलता को दर्शाता है। कई लोग मानते हैं कि पुस्तक मेला जैसे सांस्कृतिक आयोजन को राजनीति और धर्म से अलग रखना चाहिए, जबकि अन्य का कहना है कि सभी संगठनों को अपनी बात रखने का समान अवसर मिलना चाहिए।
जन प्रतिक्रिया
इस विवाद पर जनमत भी बंटा हुआ है। कुछ लोग अदालत के निर्णय का स्वागत कर रहे हैं और इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की जीत मान रहे हैं। वहीं, कुछ लोग गिल्ड के निर्णय का समर्थन करते हुए मानते हैं कि मेले की प्रकृति को भटकाने से बचाने के लिए यह कदम जरूरी था।
निष्कर्ष
कोलकाता पुस्तक मेला विवाद ने यह दिखाया है कि विचारधाराओं की विविधता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बीच संतुलन बनाना कितना महत्वपूर्ण है। हाई कोर्ट का यह निर्णय एक उदाहरण है कि लोकतंत्र में हर संगठन और व्यक्ति को अपनी बात रखने का अधिकार है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह विवाद मेले की रूपरेखा और आयोजन को किस हद तक प्रभावित करता है।