गंगा पर बन रहा मेगा पुल: बिहार-झारखंड को जोड़ेगा नया अध्याय, 50 साल का इंतजार होगा खत्म
गंगा नदी पर निर्माणाधीन मनिहारी-साहेबगंज पुल बिहार और झारखंड के बीच कनेक्टिविटी के एक नए युग की शुरुआत करने जा रहा है। इस बहुप्रतीक्षित परियोजना के पूरा होने से दोनों राज्यों के लाखों लोगों को राहत मिलेगी, जो लंबे समय से सुगम यात्रा और व्यापारिक संपर्क के लिए बेहतर साधनों की मांग कर रहे थे।
पुल का महत्व:
यह पुल मनिहारी (कटिहार, बिहार) और साहेबगंज (झारखंड) को जोड़ते हुए गंगा नदी पर एक स्थायी सड़क संपर्क प्रदान करेगा। लगभग 5 किलोमीटर लंबे इस पुल से दो राज्यों के बीच की दूरी में उल्लेखनीय कमी आएगी और यात्रा समय कई घंटों तक घट जाएगा।
आर्थिक और सामाजिक लाभ:
- व्यापार में बढ़ोतरी: पुल बनने से दोनों राज्यों के बीच माल ढुलाई और व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।
- पर्यटन को बढ़ावा: साहेबगंज का ऐतिहासिक महत्व और बिहार के सांस्कृतिक स्थलों की आसान पहुँच से पर्यटन क्षेत्र को भी गति मिलेगी।
- रोजगार के अवसर: निर्माण कार्य के दौरान हजारों लोगों को रोजगार मिला है, और पुल के शुरू होने के बाद भी क्षेत्रीय विकास से रोजगार सृजन होगा।
लंबे इंतजार का अंत:
करीब 50 वर्षों से इस पुल का सपना देखा जा रहा था। गंगा पर पुल न होने के कारण स्थानीय लोगों को नावों के भरोसे यात्रा करनी पड़ती थी, जिसमें समय और जोखिम दोनों की समस्या थी। अब इस पुल के निर्माण से लोगों की जीवनशैली में बड़ा बदलाव आने की उम्मीद है।
परियोजना की स्थिति:
निर्माण कार्य तेज गति से चल रहा है और पुल के 2025 तक पूरी तरह तैयार होने की संभावना है। सरकार इसे दोनों राज्यों के विकास का “लाइफलाइन” मान रही है।
निष्कर्ष:
मनिहारी-साहेबगंज पुल न केवल बिहार और झारखंड के बीच भौगोलिक दूरी को कम करेगा, बल्कि आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को भी मजबूत करेगा। यह परियोजना क्षेत्र के विकास और कनेक्टिविटी में मील का पत्थर साबित होगी।