कांगड़ा में आए विनाशकारी भूकंप की 120 वीं बरसी पर ज़िला लाहौल स्पीति में आयोजित की गई मॉक ड्रिल
लाहौल-स्पीति(केलांग)-जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण लाहौल स्पीति द्वारा केलांग मुख्यालय में कांगड़ा भूकंप त्रासदी की 120वीं वर्षगांठ पर आपदा प्रबंधन पर मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया।इस दौरान लोगों को भूकंप सहित अन्य आपदा से बचाव संबंधी जानकारी दी गई।
सुबह 11:00 बजे सायरन बजते ही मुख्यालय के समीप सभी कार्यालयों के अधिकारी व कर्मचारी सुरक्षित रूप से परिसर में एकत्रित हुए। इसी क्रम में जिला भर में सरकारी वह गैर सरकारी शैक्षणिक संस्थानों में मॉक ड्रिल पर आधारित जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए।
केलांग में उपायुक्त कार्यालय के परिसर में अधिकारियों व कर्मचारियों को संबोधित करते हुए उपायुक्त राहुल कुमार ने कहा कि विनाशकारी भूकंप की बरसी पर मॉक ड्रिल का आयोजन का मकसद यह है कि लोगों तक भूकंप सहित आपदा से बचाव संबंधी जानकारी पहुंचाना है, ताकि उस दौरान उत्पन्न होने वाली परिस्थितियों से लोग अपने स्तर पर भी निपट सकें और इसका प्रभाव कम हो सके।
उपायुक्त राहुल कुमार ने कहा कि भवन व ढांचागत निर्माण कार्य भूकंपरोधी मापदंडों के अनुरूप ही होने चाहिए इस बात पर बल देने की जरूरत है। इसके लिए सभी जनों को जानकारी अवश्य होनी चाहिए। उपायुक्त ने कहा कि भूकंप से बचने के लिए ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन स्कूलों व ग्राम सभाओं में भी किया जा रहा है ताकि सभी भूकंप के प्रति जागरूक हो सकें।
उपायुक्त राहुल कुमार ने कहा कि लोगों को भूकंप के प्रति इसलिए जागरूक किया जाता है ताकि भविष्य में ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए घायलों को अस्पताल और मलबे में दबे व्यक्तिओं को कैसे सुरक्षित बाहर निकालना है और उन्हें अस्पताल तक कैसे ले जाना है।इस दौरान ज़िला के विभिन्न स्कूलों में भी रैली के माध्यम से लोगों को स्लोगन और नारों के माध्यम से जागरूक करने के कार्यक्रम आयोजित हुए।
उन्होंने यह भी कहा कि आज ही के दिन 4 अप्रैल 1905 को कांगड़ा जिला में 7.8 की तीव्रता वाला बड़ा भूकंप आया था जिसमें करीब 20 हज़ार लोगों की जानें गई थी व एक लाख से अधिक इमारतों का नुकसान हुआ और भारी संख्या में माल मवेशिओं की भी जानें गईं। इस दुखद त्रासदी को देखते हुए वर्ष 2011 से आपदा जागरूकता दिवस के तौर पर मनाया जा रहा है। इन गतिविधियों में भूकंप आपदा पूर्व अभ्यास (शेक आउट ड्रिल)आपदा जागरूकता कार्यक्रम, विद्यालयों एवं अन्य शैक्षणिक संस्थानों में जागरूकता गतिविधियां और आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रशिक्षण शामिल है।