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पाकिस्तान फिर बना संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य: दो साल की नई भूमिका शुरू


पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अस्थायी सदस्य के रूप में चुना गया है। यह उसकी आठवीं बार की सदस्यता है और वह अगले दो वर्षों तक इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी का निर्वहन करेगा।

पाकिस्तान की भूमिका

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य के तौर पर पाकिस्तान को वैश्विक शांति और सुरक्षा के मामलों में अपनी भूमिका निभानी होगी। यह सदस्यता उसे नीतिगत निर्णयों में अपनी भागीदारी बढ़ाने और क्षेत्रीय मुद्दों पर अपनी आवाज बुलंद करने का अवसर प्रदान करेगी।

कैसे चुना गया पाकिस्तान?

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अपने चुनाव प्रक्रिया के तहत पाकिस्तान को अस्थायी सदस्य के रूप में चुना। इस चयन में महासभा के 193 सदस्य देशों ने मतदान किया। पाकिस्तान को बड़ी संख्या में देशों का समर्थन प्राप्त हुआ।

पाकिस्तान के सामने चुनौतियाँ

पाकिस्तान को इस नई भूमिका में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, जिनमें शामिल हैं:

  1. आतंकवाद पर वैश्विक चिंता: पाकिस्तान को अपनी छवि सुधारने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।
  2. भारत-पाक संबंध: कश्मीर और सीमा विवाद जैसे मुद्दे सुरक्षा परिषद में चर्चा का विषय बन सकते हैं।
  3. अंतरराष्ट्रीय दबाव: अमेरिका, चीन और अन्य प्रमुख देशों के बीच संतुलन बनाना एक कठिन कार्य होगा।

पाकिस्तान का बयान

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री ने इस सदस्यता को देश के लिए बड़ी कूटनीतिक सफलता बताया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान विश्व शांति और स्थिरता के लिए काम करने के प्रति प्रतिबद्ध है।

वैश्विक प्रतिक्रिया

विशेषज्ञों का मानना है कि यह सदस्यता पाकिस्तान के लिए अपनी छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुधारने का अवसर हो सकती है। हालांकि, उसके पिछले रुख और कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।

भारत का दृष्टिकोण

भारत ने पाकिस्तान की सदस्यता पर औपचारिक प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सुरक्षा परिषद में हर सदस्य को जिम्मेदारी से कार्य करना चाहिए और आतंकवाद जैसे मुद्दों पर गंभीरता दिखानी चाहिए।

यह देखना दिलचस्प होगा कि पाकिस्तान इस नई जिम्मेदारी को कैसे निभाता है और वैश्विक मंच पर अपनी भूमिका को प्रभावी बनाता है।