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पीएम मोदी ने अजमेर शरीफ दरगाह के लिए चादर भेजी, हिंदू सेना ने जताई आपत्ति


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान स्थित अजमेर शरीफ दरगाह पर वार्षिक उर्स के मौके पर चादर चढ़ाने के लिए विशेष चादर भेजी है। प्रधानमंत्री की ओर से यह चादर केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी ने दरगाह पर अर्पित की। इस दौरान प्रधानमंत्री ने देश में शांति, सौहार्द और भाईचारे की कामना की।

हालांकि, हिंदू सेना ने इस कदम पर कड़ी आपत्ति जताई है। संगठन का कहना है कि प्रधानमंत्री को किसी विशेष धार्मिक स्थल पर चादर नहीं चढ़ानी चाहिए, क्योंकि यह धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के खिलाफ है।

पीएम मोदी का संदेश

प्रधानमंत्री मोदी ने चादर के साथ एक पत्र भी भेजा, जिसमें उन्होंने देशवासियों के लिए शांति और समृद्धि की कामना की। उन्होंने कहा कि ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का संदेश मानवता, प्रेम और एकता को बढ़ावा देने का है, जो आज के समय में बहुत महत्वपूर्ण है।

पीएम ने अपने संदेश में लिखा:
“दरगाह शरीफ पर अकीदतमंदों की आस्था का प्रतीक यह उर्स हर साल देशभर में प्रेम और सद्भाव का संदेश फैलाता है। मैं इस मौके पर सभी देशवासियों के सुखद और समृद्ध जीवन की कामना करता हूं।”

हिंदू सेना की आपत्ति

इस कदम पर हिंदू सेना ने आपत्ति जताते हुए इसे धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के खिलाफ बताया। संगठन के प्रमुख ने कहा कि प्रधानमंत्री को किसी विशेष धर्मस्थल पर धार्मिक प्रतीक नहीं भेजना चाहिए। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या सरकार दूसरे धर्मों के त्योहारों और धार्मिक स्थलों पर भी ऐसी ही पहल करेगी।

हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने कहा:
“हम किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन एक धर्मनिरपेक्ष देश के प्रधानमंत्री को सभी धर्मों के प्रति समान व्यवहार रखना चाहिए। केवल एक धार्मिक स्थल पर चादर भेजने से समाज में गलत संदेश जा सकता है।”

कांग्रेस ने साधा निशाना

इस मुद्दे पर विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने भी टिप्पणी की है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि यह कदम सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए उठाया गया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को देश के सभी धार्मिक स्थलों को समान सम्मान देना चाहिए।

दरगाह का महत्व

अजमेर शरीफ दरगाह को ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के रूप में जाना जाता है। हर साल उर्स के दौरान देशभर से लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं। प्रधानमंत्री की ओर से चादर भेजना एक परंपरा रही है, जिसे भारत के कई पूर्व प्रधानमंत्रियों ने भी निभाया है।

क्या है चादर चढ़ाने की परंपरा?

दरगाह में उर्स के दौरान चादर चढ़ाने की परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है। प्रधानमंत्री द्वारा चादर भेजना एकता और सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक माना जाता है। इससे यह संदेश दिया जाता है कि भारत की विविधता में एकता ही इसकी सबसे बड़ी ताकत है।

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं

इस मुद्दे पर सोशल मीडिया पर भी बहस छिड़ गई है। कुछ लोग प्रधानमंत्री की पहल की तारीफ कर रहे हैं, तो कुछ इसे राजनीतिक रणनीति बता रहे हैं। ट्विटर पर #AjmerSharif और #ModiChadar ट्रेंड कर रहे हैं।

एक यूजर ने लिखा:
“प्रधानमंत्री का यह कदम देश में शांति और भाईचारे को बढ़ावा देने वाला है।”

वहीं, एक अन्य यूजर ने लिखा:
“प्रधानमंत्री को सभी धर्मों के त्योहारों और धार्मिक स्थलों को समान सम्मान देना चाहिए। केवल एक धर्म विशेष के लिए ऐसा करना गलत संदेश देता है।”

सरकार का पक्ष

सरकार की ओर से इस मामले पर अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी, जिन्होंने चादर अर्पित की, ने कहा कि यह प्रधानमंत्री की ओर से प्रेम और सौहार्द का संदेश है।

रेड्डी ने कहा:
“प्रधानमंत्री का यह कदम भारत की सांस्कृतिक विविधता को सम्मान देने का प्रतीक है।”


निष्कर्ष
अजमेर शरीफ दरगाह पर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा चादर भेजे जाने को लेकर सकारात्मक और नकारात्मक प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। जहां एक ओर इसे धार्मिक एकता और भाईचारे का प्रतीक माना जा रहा है, वहीं दूसरी ओर कुछ संगठनों ने इसे धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ करार दिया है।

देश में विविधता और सामंजस्य बनाए रखने के लिए इस प्रकार की पहलें महत्वपूर्ण हैं। हालांकि, सरकार को सभी धर्मों के प्रति समान व्यवहार रखने का संदेश देने की जरूरत है ताकि सांप्रदायिक सौहार्द को मजबूती मिल सके।