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स्क्वैश चैंपियन अनाहत सिंह ने ब्रिटिश जूनियर ओपन में रचा इतिहास, तीसरी बार खिताब किया अपने नाम


भारतीय स्क्वैश खिलाड़ी अनाहत सिंह ने ब्रिटिश जूनियर ओपन 2025 में अंडर-17 गर्ल्स सिंगल्स का खिताब जीतकर एक बार फिर इतिहास रच दिया है। यह उनकी तीसरी ब्रिटिश जूनियर ओपन जीत है, जिससे उन्होंने भारतीय खेल जगत में अपनी एक खास पहचान बना ली है। उनकी इस उपलब्धि ने देश का नाम वैश्विक मंच पर रोशन किया है।

टूर्नामेंट का सफर

ब्रिटिश जूनियर ओपन स्क्वैश का सबसे प्रतिष्ठित टूर्नामेंट माना जाता है। अनाहत ने पूरे टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन किया और फाइनल मुकाबले में अपने प्रतिद्वंद्वी को सीधे सेटों में हराया। उनके तेज रिफ्लेक्स और आक्रामक खेल शैली ने दर्शकों को प्रभावित किया और उन्हें खिताब तक पहुंचाया।

फाइनल में अनाहत ने इंग्लैंड की शीर्ष वरीयता प्राप्त खिलाड़ी को 11-8, 11-6, 11-7 के स्कोर से हराया। उनकी इस जीत ने दिखा दिया कि वह न केवल एक बेहतरीन खिलाड़ी हैं, बल्कि दबाव के क्षणों में भी अपने खेल को ऊंचे स्तर पर ले जा सकती हैं।

अनाहत सिंह का अब तक का करियर

दिल्ली की रहने वाली अनाहत सिंह ने बहुत कम उम्र में स्क्वैश खेलना शुरू कर दिया था। उनकी मेहनत और समर्पण ने उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खिताब दिलाए।

  • ब्रिटिश जूनियर ओपन 2020: अंडर-11 कैटेगरी में खिताब जीता।
  • ब्रिटिश जूनियर ओपन 2022: अंडर-13 कैटेगरी में खिताब अपने नाम किया।
  • ब्रिटिश जूनियर ओपन 2025: अंडर-17 कैटेगरी में तीसरी बार खिताब जीता।

उनकी लगातार सफलता इस बात का प्रमाण है कि वह भारतीय स्क्वैश के भविष्य की एक बड़ी उम्मीद हैं।

कोच और परिवार का समर्थन

अनाहत की इस सफलता के पीछे उनके कोच और परिवार का अहम योगदान रहा है। उनके कोच ने उनके खेल में लगातार सुधार करने और उनकी तकनीक को निखारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

अनाहत के पिता ने एक साक्षात्कार में कहा, “हम अपनी बेटी की इस उपलब्धि पर बेहद गर्व महसूस कर रहे हैं। उसने जिस तरह से कड़ी मेहनत की है और देश का नाम ऊंचा किया है, वह प्रेरणादायक है।”

स्क्वैश के क्षेत्र में भारत का बढ़ता प्रभाव

अनाहत सिंह की इस जीत से यह साफ हो गया है कि भारत स्क्वैश के क्षेत्र में भी अपनी छाप छोड़ रहा है। पिछले कुछ वर्षों में कई भारतीय खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अच्छा प्रदर्शन किया है, और अनाहत की जीत इस दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है।

अनाहत की इस सफलता से युवा खिलाड़ियों को प्रेरणा मिलेगी और देश में स्क्वैश को अधिक प्रोत्साहन मिलेगा। भारतीय स्क्वैश फेडरेशन ने भी अनाहत की इस उपलब्धि की सराहना की है और कहा है कि वह आगामी टूर्नामेंटों में भी उन्हें समर्थन प्रदान करेंगे।

भविष्य की योजनाएं

अनाहत सिंह ने अपनी जीत के बाद कहा कि उनका अगला लक्ष्य सीनियर कैटेगरी में भी जीत हासिल करना है। उन्होंने कहा, “मैं अपनी ट्रेनिंग जारी रखूंगी और भारत के लिए और भी खिताब जीतने की कोशिश करूंगी। मेरा सपना है कि मैं भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और अधिक पहचान दिला सकूं।”

निष्कर्ष

अनाहत सिंह की यह जीत भारतीय खेल इतिहास में एक और सुनहरा पन्ना जोड़ती है। उनकी मेहनत, समर्पण और लगन ने यह साबित कर दिया है कि भारत में स्क्वैश का भविष्य उज्ज्वल है। उनके जैसे युवा खिलाड़ियों की सफलता से न केवल खेल को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि देश के युवा खिलाड़ियों को भी प्रेरणा मिलेगी। अनाहत की यह जीत हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण है।