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श्रीलंकाई राष्ट्रपति अनुरा कुमारा का बोधगया दौरा, महाबोधि मंदिर में की विशेष पूजा-अर्चना


बोधगया (बिहार):
श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने बुधवार को बिहार स्थित विश्व प्रसिद्ध महाबोधि मंदिर का दौरा किया और विशेष पूजा-अर्चना की। इस आध्यात्मिक यात्रा को भारत-श्रीलंका के सांस्कृतिक और धार्मिक संबंधों को मजबूत करने वाला कदम माना जा रहा है।

महाबोधि मंदिर का महत्व

महाबोधि मंदिर बौद्ध धर्म का प्रमुख तीर्थ स्थल है, जहां भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया था। इस ऐतिहासिक स्थल का श्रीलंका के बौद्ध अनुयायियों के लिए विशेष महत्व है। श्रीलंका के राष्ट्रपति का यह दौरा दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जुड़ाव को और गहरा करने का संकेत है।

राष्ट्रपति का स्वागत

राष्ट्रपति दिसानायके का बोधगया पहुंचने पर भव्य स्वागत किया गया। स्थानीय अधिकारियों और बौद्ध भिक्षुओं ने उन्हें मंदिर परिसर में ले जाकर पूजा की विधि पूरी कराई। उन्होंने महाबोधि वृक्ष के नीचे ध्यान लगाया और मंदिर की परिक्रमा की।

श्रीलंका-भारत संबंध पर चर्चा

इस अवसर पर श्रीलंका के राष्ट्रपति ने कहा:
“बोधगया न केवल बौद्ध अनुयायियों के लिए, बल्कि पूरी मानवता के लिए शांति और ज्ञान का प्रतीक है। यह स्थल हमें करुणा और अहिंसा का संदेश देता है।”

उन्होंने भारत और श्रीलंका के बीच सदियों पुराने सांस्कृतिक संबंधों की सराहना की और दोनों देशों के बीच आध्यात्मिक आदान-प्रदान को और मजबूत करने की इच्छा जताई।

स्थानीय जनता और पर्यटकों का उत्साह

श्रीलंकाई राष्ट्रपति की यात्रा को लेकर स्थानीय लोगों और पर्यटकों में खासा उत्साह देखा गया। बड़ी संख्या में बौद्ध भिक्षु और श्रद्धालु महाबोधि मंदिर में मौजूद रहे।

भारत-श्रीलंका सांस्कृतिक संबंध

भारत और श्रीलंका के बीच बौद्ध धर्म एक मजबूत सांस्कृतिक पुल का काम करता है। श्रीलंका में बौद्ध धर्म की गहरी जड़ें हैं, और महाबोधि मंदिर का दौरा दोनों देशों के बीच आध्यात्मिक रिश्तों को और प्रगाढ़ बनाता है।

विशेष कार्यक्रम

श्रीलंका के राष्ट्रपति के सम्मान में मंदिर प्रशासन द्वारा विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें बौद्ध धर्म के उपदेश और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां शामिल थीं।


निष्कर्ष:
श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके का महाबोधि मंदिर का दौरा भारत-श्रीलंका के बीच सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंधों को नई ऊर्जा देता है। यह यात्रा बौद्ध धर्म के वैश्विक संदेश को और सशक्त बनाती है और दोनों देशों के बीच मैत्रीपूर्ण रिश्तों को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाती है।