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श्रीलंका के राष्ट्रपति का आश्वासन: भारत विरोधी गतिविधियों के लिए भूमि का उपयोग नहीं होगा


श्रीलंका के नए राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने भारत को स्पष्ट आश्वासन दिया है कि श्रीलंका की भूमि का उपयोग भारत के खिलाफ किसी भी गतिविधि के लिए नहीं होने दिया जाएगा। यह बयान दोनों देशों के बीच विश्वास को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

राष्ट्रपति का बयान:

राष्ट्रपति दिसानायके ने कहा, “भारत और श्रीलंका के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध हैं। हमारी प्राथमिकता इन संबंधों को मजबूत करना और क्षेत्रीय शांति बनाए रखना है।” उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार किसी भी बाहरी ताकत को अपनी भूमि पर भारत विरोधी गतिविधियों की अनुमति नहीं देगी।

भारत-श्रीलंका संबंधों का महत्व:

भारत और श्रीलंका का पड़ोसी और रणनीतिक साझेदार होना दोनों देशों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

  1. सुरक्षा सहयोग: दोनों देश समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी उपायों और रक्षा सहयोग पर मिलकर काम कर रहे हैं।
  2. आर्थिक सहयोग: भारत श्रीलंका का प्रमुख व्यापारिक साझेदार है, और दोनों देश कई आर्थिक समझौतों पर कार्यरत हैं।

चीन का प्रभाव:

राष्ट्रपति के इस बयान को चीन के बढ़ते प्रभाव के संदर्भ में भी देखा जा रहा है। श्रीलंका में चीन के बढ़ते निवेश को लेकर भारत पहले से सतर्क है। राष्ट्रपति के इस आश्वासन से भारत को राहत मिलने की उम्मीद है।

श्रीलंका की चुनौतियाँ:

श्रीलंका इस समय गंभीर आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता का सामना कर रहा है। भारत ने पहले भी संकट के समय श्रीलंका की मदद की है, जिसमें कर्ज राहत और ईंधन आपूर्ति शामिल हैं।

भारतीय प्रतिक्रिया:

भारत सरकार ने राष्ट्रपति दिसानायके के बयान का स्वागत किया है और इसे दोनों देशों के बीच बेहतर संबंधों के लिए सकारात्मक कदम बताया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह बयान क्षेत्रीय स्थिरता के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करता है।

भविष्य की उम्मीदें:

राष्ट्रपति दिसानायके के नेतृत्व में श्रीलंका से भारत को अपने हितों की सुरक्षा और सहयोग की दिशा में निरंतर सकारात्मक पहल की उम्मीद है।

यह बयान दोनों देशों के बीच भरोसे और सहयोग को बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकता है। भारत और श्रीलंका के रिश्ते इस क्षेत्र में स्थिरता और विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।