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यूक्रेन में जेलेंस्की ने मार्शल लॉ बढ़ाया; रूस के मध्यस्थता प्रस्ताव पर चर्चा जारी।


🛡️ जेलेंस्की ने मार्शल लॉ और जनरल मोबिलाइजेशन बढ़ाया

  • यूक्रेनी संसद (वेरखोवना राडा) ने मार्शल लॉ और जनरल मोबिलाइजेशन को फिर से 90 दिन के लिए बढ़ाने का मतदान किया, जो अब अगस्त 2025 तक लागू रहेगा। संसद में 357 सदस्यों ने समर्थन में वोट किया ।
  • यह 15वीं बार है जब मार्च 2022 से लेकर अब तक मार्शल लॉ और जनरल मोबिलाइजेशन बढ़ाया गया है ।
  • सरकार का कहना है कि यह फैसला देश की रक्षा तथा सैन्य तैयारियों की आवश्यकता को ध्यान में रखकर लिया गया है ।

🗳️ चुनाव पर प्रभाव और लोकतंत्र की चिंता

  • मार्शल लॉ लागू रहने की वजह से त्यौहारिक चुनाव स्थगित होंगे; संविधान के तहत युद्धकाल में चुनाव की अनुमति नहीं है ।
  • इससे सिलसिला बना रहेगा—मार्शल लॉ हटाए बिना कोई नया राष्ट्रपति या संसदीय चुनाव संभव नहीं हो पाएगा।
  • जबकि कई विपक्षी नेता और स्वतंत्र आवाजें इसे लोकतांत्रिक मूल्यों पर ग्रहण लगाने वाला कदम मान रही हैं, सत्तारूढ़ पक्ष इसे “रक्षा की आवश्यकता” बताकर समझा रहा है ।

🤝 रूस के मध्यस्थता प्रस्ताव पर अंतरराष्ट्रीय चर्चा जारी

  • रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने इस्तांबुल (तुर्की) में जेलेंस्की से मध्यस्थता वार्ता करने का प्रस्ताव रखा।
    • यह बैठक निचले स्तर पर सोमवार को हुई, हाई-लेवल प्रतिनिधियों के बीच चर्चा के स्तर पर हुई—but पुतिन और जेलेंस्की व्यक्तिगत रूप से आमने-सामने नहीं मिले ।
  • यूक्रेन की तरफ़ से कहा गया कि जेलेंस्की केवल पुतिन के साथ प्रत्यक्ष वार्ता पर ही तैयार हैं, अन्य प्रतिनिधियों से नहीं ।
  • पश्चिमी देशों ने संयुक्त रूप से एक 30 दिन के हथियारबंदी (ceasefire) की मांग की है, लेकिन रूस ने पहले वार्ता करना प्रस्तावित किया—बाद में संभवतः रुका–ू गया।

🔍 विश्लेषण: संतुलन और चुनावी निहितार्थ

पक्षदलीलसंभावित असर
यूक्रेन/जेलेंस्कीमार्शल लॉ और चुनाव स्थगन देश की सुरक्षा के अंतर्गत जरूरीलोकतंत्र पर सवाल, विपक्षी नाराज़
रूस/पुतिनमध्यस्थता वार्ता का प्रस्ताव, पर सीमांतवार्ता की गंभीरता पर संदेह
पश्चिमी देशहथियारबंदी, कड़े प्रतिबंध और समर्थन के साथ आगेवार्ता को दबाव और समर्थन भी

✨ निष्कर्ष

यूक्रेन में मार्शल लॉ का विस्तार और रूस का मध्यस्थता प्रस्ताव—दोनों गहरे रणनीतिक फैसलों से जुड़े हैं। एक तरफ़, देश की रक्षा और चुनाव स्थगन को लेकर संवैधानिक बाध्यताएँ बनी हुई हैं, वहीँ दूसरी तरफ़ वार्ता के लिए रूसी प्रस्ताव से लगा साझेदारी का संकेत मिला—हालांकि इसमें राजनीति और भू‑रणनीतिक ताकतें साफ झलकती हैं।

अगर आप इस खबर पर और गहराई में जाना चाहें—जैसे इस्तांबुल वार्ता की डिटेल, रूसी और पश्चिमी सरकारों की प्रतिक्रिया, या निर्वाचन-विवाद—तो बेझिझक बताएं।