भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की चुनौतियाँ
भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) को अपनाने की दिशा में कई चुनौतियाँ सामने आ रही हैं, जो उनके व्यापक प्रसार में बाधा उत्पन्न कर रही हैं। प्रमुख चुनौतियाँ निम्नलिखित हैं:
- चार्जिंग अवसंरचना की कमी: देश में चार्जिंग स्टेशनों की संख्या सीमित है, विशेषकर महानगरों के बाहर। यह EV मालिकों के लिए लंबी दूरी की यात्रा को कठिन बनाता है और ‘रेंज एंग्जायटी’ (बैटरी खत्म होने का भय) को बढ़ाता है।
- उच्च प्रारंभिक लागत: EVs की प्रारंभिक खरीद लागत पारंपरिक वाहनों की तुलना में अधिक है, मुख्यतः बैटरी और तकनीकी लागत के कारण। यह बजट-संवेदनशील उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ी बाधा है।
- बैटरी प्रौद्योगिकी और आपूर्ति शृंखला: लिथियम-आयन बैटरी के लिए आवश्यक खनिजों, जैसे लिथियम और कोबाल्ट, की आपूर्ति में चुनौतियाँ हैं। भारत इन खनिजों के लिए आयात पर निर्भर है, जिससे उत्पादन लागत बढ़ती है।
- ग्राहक जागरूकता और समर्थन का अभाव: EVs के लाभों और उपयोग के बारे में उपभोक्ताओं में जागरूकता की कमी है। साथ ही, प्रशिक्षित तकनीशियनों और सेवा केंद्रों की कमी से EV मालिकों को सेवा और रखरखाव में कठिनाइयाँ होती हैं।
- नीतिगत अनिश्चितता: सरकारी नीतियों और नियमों में स्थिरता का अभाव है, जिससे वाहन निर्माताओं और उपभोक्ताओं के लिए भविष्य की योजना बनाना कठिन हो जाता है। हालाँकि, हालिया पहल, जैसे EMPS 2024, कुछ स्थिरता प्रदान करने का प्रयास कर रही हैं।
आगे की राह:
- चार्जिंग अवसंरचना का विस्तार: शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में चार्जिंग नेटवर्क का विस्तार करना आवश्यक है। निजी निवेश को प्रोत्साहित करके हाई-स्पीड चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना की जानी चाहिए।
- बैटरी प्रौद्योगिकी में नवाचार: हल्की और उच्च ऊर्जा घनत्व वाली बैटरियों के विकास के लिए अनुसंधान और विकास में निवेश बढ़ाना चाहिए। सरकार को बैटरी प्रौद्योगिकी अनुसंधान के लिए प्रोत्साहन और टैक्स क्रेडिट प्रदान करने चाहिए।
- उपभोक्ता जागरूकता बढ़ाना: EVs के लाभों और सतत् परिवहन के महत्त्व के बारे में शैक्षिक अभियान चलाए जाने चाहिए, ताकि उपभोक्ताओं में जागरूकता बढ़े और वे EVs को अपनाने के लिए प्रेरित हों।
- नीतिगत स्थिरता सुनिश्चित करना: सरकार को EVs के लिए स्थिर और स्पष्ट नीतियाँ बनानी चाहिए, ताकि वाहन निर्माता और उपभोक्ता दीर्घकालिक योजनाएँ बना सकें। EMPS 2024 जैसी पहलें इस दिशा में सकारात्मक कदम हैं।
इन चुनौतियों का समाधान करके भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के व्यापक अंगीकरण को प्रोत्साहित किया जा सकता है, जिससे पर्यावरणीय लाभ और ऊर्जा सुरक्षा में सुधार होगा।