लाल बहादुर शास्त्री जयंती: जब प्रधानमंत्री ने रुकवाया बेटे का प्रमोशन, उनके फैसले जो बन गए मिसाल
परिचय:
लाल बहादुर शास्त्री, भारत के दूसरे प्रधानमंत्री, अपनी सादगी, ईमानदारी और सिद्धांतों के लिए पूरे देश में सम्मानित हैं। शास्त्री जी ने देश को ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया और भारतीय राजनीति में एक ऐसी विरासत छोड़ी जो आज भी लोगों को प्रेरित करती है। उनके नेतृत्व और फैसले हमेशा अनुकरणीय रहे, जिनमें से कुछ फैसले आज भी मिसाल माने जाते हैं।
बेटे का प्रमोशन रुकवाने का मामला:
शास्त्री जी की ईमानदारी का एक अनूठा उदाहरण तब सामने आया जब उनके बेटे का प्रमोशन होने वाला था। लाल बहादुर शास्त्री के बेटे, हरिकृष्ण शास्त्री, एक सरकारी कर्मचारी थे और उन्हें उनकी योग्यता के आधार पर प्रमोशन मिलने वाला था। हालांकि, जब शास्त्री जी को इसके बारे में जानकारी मिली, तो उन्होंने तुरंत अधिकारियों को यह कहकर प्रमोशन रुकवा दिया कि उनके बेटे को किसी विशेष लाभ का फायदा नहीं मिलना चाहिए क्योंकि वह प्रधानमंत्री का पुत्र है। शास्त्री जी का मानना था कि उनके परिवार को किसी भी प्रकार की विशेष सुविधा नहीं दी जानी चाहिए, और उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि उनकी नैतिकता पर कोई प्रश्नचिन्ह न उठे।
शास्त्री जी के अन्य महत्वपूर्ण फैसले:
‘जय जवान, जय किसान’ का नारा: 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय शास्त्री जी ने देशवासियों को प्रेरित करने के लिए यह नारा दिया। उन्होंने सैनिकों और किसानों की महत्ता को पहचानते हुए देश को एकजुट किया। यह नारा भारतीय कृषि और रक्षा क्षेत्र में विकास और प्रेरणा का प्रतीक बन गया।
अनाज संकट के समय का नेतृत्व: शास्त्री जी के प्रधानमंत्री बनने के दौरान भारत को खाद्य संकट का सामना करना पड़ा। उन्होंने खुद अपने परिवार के साथ सप्ताह में एक दिन उपवास रखने का आह्वान किया ताकि लोगों को जागरूक किया जा सके कि देश को अपने संसाधनों का उचित इस्तेमाल करना चाहिए। शास्त्री जी के इस कदम ने जनता में अनुशासन और कर्तव्य भावना को बढ़ावा दिया।
सादगी और स्वाभिमान की मिसाल: शास्त्री जी ने अपने कार्यकाल में कभी सरकारी सुविधाओं का दुरुपयोग नहीं किया। उनके पास न तो कोई निजी संपत्ति थी और न ही उन्होंने अपने पद का फायदा उठाया। वह सादगी और स्वाभिमान की एक जीवंत मिसाल थे, जिन्होंने राजनीति में नैतिकता का स्तर ऊंचा उठाया।
पाकिस्तान के खिलाफ निर्णायक नेतृत्व: 1965 के युद्ध में शास्त्री जी ने दृढ़ नेतृत्व का परिचय दिया। उनके कुशल नेतृत्व और सैन्य रणनीति के कारण भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ निर्णायक जीत हासिल की। इसके बाद ताशकंद समझौते के दौरान भी उन्होंने देश की संप्रभुता और सम्मान को बरकरार रखा।
शास्त्री जी की विरासत:
लाल बहादुर शास्त्री की विरासत आज भी प्रासंगिक है। उनकी ईमानदारी, सादगी और देश के प्रति निष्ठा ने भारतीय राजनीति को नैतिकता की नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उनका जीवन इस बात का प्रतीक है कि सत्ता में रहकर भी ईमानदारी और सिद्धांतों पर कायम रहा जा सकता है।