NationalPolitics

कर्नाटक में राजनीतिक संकट


कर्नाटक में हाल ही में राजनीतिक अस्थिरता के संकेत मिले हैं, जिससे राज्य की सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।

विधायकों के इस्तीफे: कांग्रेस और जनता दल (सेक्युलर) गठबंधन के कई विधायकों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, जिससे सरकार की स्थिरता पर प्रश्नचिह्न लग गया है। इन इस्तीफों के बाद सरकार अल्पमत में आ सकती है, जिससे विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए सत्ता में आने का मार्ग प्रशस्त हो सकता है।

स्पीकर की भूमिका: विधानसभा स्पीकर केआर रमेश कुमार ने विधायकों के इस्तीफों की जांच के लिए समय मांगा है। उनका कहना है कि इस्तीफों की स्वेच्छा और वास्तविकता की पुष्टि करना आवश्यक है। इस प्रक्रिया में देरी के कारण सरकार को समय मिल सकता है, लेकिन विपक्ष इसे लोकतंत्र के खिलाफ मान रहा है।

सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप: बागी विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें स्पीकर पर इस्तीफों को स्वीकार करने में देरी का आरोप लगाया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर को निर्देश दिया है कि वे विधायकों के इस्तीफों पर शीघ्र निर्णय लें।

भाजपा की रणनीति: भाजपा ने अपने विधायकों को एकजुट रखने के लिए उन्हें बेंगलुरु के एक होटल में ठहराया है। पार्टी नेतृत्व का कहना है कि वे सरकार बनाने के लिए तैयार हैं, लेकिन संवैधानिक प्रक्रियाओं का पालन करेंगे।

सरकार का पक्ष: मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने विश्वास प्रस्ताव पेश करने की घोषणा की है। उनका कहना है कि वे सदन में अपना बहुमत साबित करेंगे और सरकार को बचाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।

निष्कर्ष: कर्नाटक में राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है। विधायकों के इस्तीफे, स्पीकर की भूमिका, सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप और भाजपा की रणनीति ने राज्य की राजनीति को जटिल बना दिया है। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार अपनी स्थिरता बनाए रख पाती है या नहीं।