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यौन हिंसा और एसिड हमले पीड़ितों के लिए मुफ्त इलाज: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिए अहम दिशा-निर्देश


दिल्ली हाईकोर्ट ने यौन हिंसा और एसिड हमलों के पीड़ितों के लिए मुफ्त इलाज सुनिश्चित करने के उद्देश्य से अहम दिशा-निर्देश जारी किए हैं। यह कदम पीड़ितों के स्वास्थ्य और पुनर्वास की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

मुख्य बिंदु:

  1. मुफ्त इलाज की अनिवार्यता: कोर्ट ने कहा है कि देशभर के सरकारी और निजी अस्पताल पीड़ितों का इलाज मुफ्त में करेंगे। इसमें सर्जरी, दवाइयां, और काउंसलिंग सेवाएं भी शामिल होंगी।
  2. जांच और निगरानी व्यवस्था: हाईकोर्ट ने सुनिश्चित किया है कि सभी अस्पतालों में पीड़ितों के इलाज के लिए अलग से व्यवस्था की जाए और नियमित जांच की जाए कि निर्देशों का पालन हो रहा है।
  3. सरकारी सहयोग: कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिया है कि वे पीड़ितों को आर्थिक सहायता और पुनर्वास योजनाओं का लाभ दें।

कोर्ट का फैसला:

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा कि एसिड हमले और यौन हिंसा जैसे जघन्य अपराधों के पीड़ितों को स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित नहीं किया जा सकता। यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह उनके इलाज और पुनर्वास के लिए हरसंभव मदद सुनिश्चित करे।

पीड़ितों के लिए अन्य सहायता:

  • मानसिक स्वास्थ्य सहायता: कोर्ट ने मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने पर भी जोर दिया।
  • फास्ट-ट्रैक कोर्ट की मांग: पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए मामलों को तेजी से निपटाने की आवश्यकता पर भी चर्चा की गई।

विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया:

स्वास्थ्य और महिला अधिकारों से जुड़े विशेषज्ञों ने कोर्ट के इस फैसले की सराहना की है। उनका मानना है कि यह कदम पीड़ितों को न्याय और सम्मानपूर्वक जीवन जीने में मदद करेगा।

चुनौतियां और क्रियान्वयन:

हालांकि, इस आदेश को लागू करना एक चुनौती होगी, खासकर निजी अस्पतालों में। सरकार को इस दिशा में सख्त निगरानी रखनी होगी ताकि पीड़ितों को पूरा लाभ मिल सके।

निष्कर्ष:

दिल्ली हाईकोर्ट का यह फैसला यौन हिंसा और एसिड हमलों के पीड़ितों के लिए एक बड़ी राहत लेकर आया है। यह आदेश पीड़ितों को जरूरी चिकित्सा सहायता और पुनर्वास का अधिकार दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।