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उत्तराखंड : देहरादून में प्रशासन लगातार कस रहा प्राइवेट स्कूलों और बुक सेलर्स की नकेल


देहरादून के प्राइवेट स्कूलों, पब्लिशर्स, और बुक सैलर्स के गठजोड़ पर डीएम, सविन बंसल, के निर्देश पर प्रशासन का लगातार प्रहार जारी है। बीते शनिवार को राजधानी के पाँच बड़े बुक सैलर्स के यहाँ छापेमारी करके बड़े पैमाने पर जीएसटी चोरी, अभिभावकों को बिल न देने, बिना बार कोड और आईएसबीएन नंबर के, और मनमानी कीमत पर किताबों की बिक्री जैसे घपले पकड़े गए।

इन बुक सैलर्स की बिल बुक, स्टॉक रजिस्टर, और बिना आईएसबीएन नंबर वाली पुस्तकों को ज़ब्त कर लिया गया था। इनमें से चार आरोपी बुक सैलर्स के विरूद्ध विभिन्न धाराओं में मुकदमे भी दर्ज किए गए। इसके बावजूद वे पुस्तकों की बिक्री जारी रखे हुए थे। इस पर प्रशासन और पुलिस ने बीती शाम राजपुर रोड, सुभाष रोड पर अभिषेक टावर,

डिस्पेंसरी रोड तिराहा, और क्रास रोड-कान्वेंट रोड तिराहा पर स्थित आरोपी बुक सैलर्स की दुकानों को सील कर दिया। वहीं दूसरी ओर, मनमाने ढ़ंग से फ़ीस बढ़ाए जाने की शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए डीएम के निर्देश पर CDO (सीडीओ), अभिनव शाह, ने इन स्कूल संचालकों को तलब कर उनसे पिछले पाँच वर्ष का फ़ीस स्ट्रक्चर माँगा।

फ़ीस स्ट्रक्चर की जाँच से पता चला कि एक स्कूल ने मनमाने ढ़ंग से बेतहाशा फ़ीस बढ़ाई है। उक्त स्कूल प्रबंधन को तत्काल फ़ीस स्ट्रक्चर संशोधित करने के निर्देश दिए गए। सभी स्कूल प्रबंधन को हिदायत दी गई कि फ़ीस के लिए आरटीई ऐक्ट और प्रावधानों के अनुसार ही काम करना सुनिश्चित करें।

अभिभावक और बच्चों को किसी एक निश्चित दुकान से किताबें और ड्रैस खरीदने के लिए बाध्य न किया जाए। सीडीओ ने कहा कि ऐक्ट के अनुसार स्कूल तीन वर्ष में अधिकतम 10 प्रतिशत से अधिक फ़ीस नहीं बढ़ा सकते। स्कूल प्रशासन के व्यय निकालने के बाद स्कूल की कुल जमा 20 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए।

शिक्षा विभाग के संज्ञान में लाए बिना कोई भी निजी स्कूल मनमाने ढंग से फ़ीस नहीं बढ़ा सकता। यदि 10 प्रतिशत तक फ़ीस बढ़ानी आवश्यक हो तो स्कूल को इसके औचित्यपूर्ण कारण भी शिक्षा विभाग को बताने होंगे। उन्होंने स्कूलों को राज्य सरकार के नियमों का पालन सुनिश्चित करने और एनसीईआरटी की पुस्तकें लगाने के भी निर्देश दिए।